क्या भाजपा के संकटमोचक बन पाएंगे प्रकाश जावड़ेकर, नड्डा और धर्मेंद्र प्रधान?

इस साल के अंत में होने वाले राज्यों के विधानसभा चुनावों को 2019 के सेमीफाइनल के तौर पर देखा जा रहा है। कांग्रेस या भाजपा, जिसे भी इन चुनावों में जीत हासिल होती है, वह 2019 के लोकसभा चुनाव में बढ़े मनोबल के साथ मैदान में उतरेगा। यही कारण है कि भाजपा ने इन राज्यों की जीत सुनिश्चित करने के लिए अपने खास सेनापति मैदान में उतार दिये हैं।

प्रकाश जावड़ेकर को राजस्थान की तो धर्मेंद्र प्रधान को मध्यप्रदेश का चुनाव प्रभारी बना दिया गया है। इन दोनों ही नेताओं के सामने तेज सत्ताविरोधी लहर के बीच पार्टी को जिताने की चुनौती है। सवाल यह है कि क्या ये दोनों नेता अपनी पार्टी की उम्मीदों पर खरा उतर पाएंगे। दरअसल, चुनाव प्रभारी के रुप में इन दोनों नेताओं के चुने जाने के पीछे उनकी छवि और उनका पुराना रिकॉर्ड काम आया है। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर अपने मृदु व्यवहार और लो प्रोफाइल में रहकर नेतृत्व के द्वारा दिए गए काम को पूरे लगन के साथ करने के लिए जाने जाते हैं।

कार्यकर्ताओं के साथ भी वे बहुत अच्छे ढंग से पेश आते हैं। किसी गुटबंदी में शामिल न होने के कारण पार्टी में उनका कोई विरोधी नहीं है। जावड़ेकर को जब कर्नाटक का प्रभार सौंपा गया था, तब भी वे पार्टी आलाकमान की उम्मीदों पर खरे उतरे थे। कर्नाटक का प्रभार मिलने के बाद भाजपा को राज्य की नंबर वन पार्टी बनाने से पहले उन्होंने राज्य के विरोधी धड़ों को भी एक साथ लाने में सफलता पाई थी। यही कारण था कि पार्टी ने राज्य में बेहतर प्रदर्शन किया।

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