डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी ने ट्वीट कर कहा है कि जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 लगाने के समय तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने इसे अस्थायी माना था. परंतु परवर्ती सरकारें राजनीतिक नुकसान के डर से इसे अस्थायी अनुच्छेद को निष्प्रभावी करने की पहल नहीं कर पायी. 1964 में संसद में बहस के दौरान डॉ लोहिया और मधु लिमये ने भी 370 को हटाने के लिए जोरदार दलील दी थी.
अपने दल के नेताओं से भी शरमा रहे हैं तेजस्वी : संजय सिंहउन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 कश्मीर के लिए ऐसा जख्म था, जो बार-बार किसी न किसी रूप में चुभता रहा. 1968 में जब यह मुद्दा संसद में उठा, तब इसके विरोध में प्रकाश वीर शास्त्री के प्रस्ताव को एसएम जोशी, मोहम्मद करीम छागला और जीएम सादिक जैसे प्रखर सांसदों का समर्थन मिला था. उन्होंने कहा कि जिस रिसते हुए नासूर को मीठी गोलियों के बजाय बड़ी सर्जरी की जरूरत थी, उसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने अपनी दूसरी पारी के 70 दिन में कर दिखाया.