कश्मीर का 'पुनर्जन्म', मोदी सरकार ने बदल दिया 'जन्नत का भूगोल'

जम्मू-कश्मीर पुर्नगठन विधेयक 2019 सोमवार को राज्यसभा में पारित हो गया. इसे केंद्र सरकार की एक बड़ी जीत के रूप में देखा जा रहा है. जम्मू-कश्मीर से धारा 370 का असर कम करने के लिए गृह मंत्री ने संकल्प पेश किया इसके साथ ही वह राज्य पुनर्गठन विधेयक भी राज्यसभा में पास कराने में कामयाब रहे.
प्रस्ताव को अब लोकसभा में चर्चा और पास कराने के लिए पेश किया जाएगा. एक बार संसद की मुहर लग जाने पर प्रस्ताव कानून बन जाएगा. इसके अनुसार राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटा जाएगा. एक विधानसभा वाला जम्मू-कश्मीर और दूसरा बिना विधानसभा वाला लद्दाख क्षेत्र.  
गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि वक्त आ गया है कि अनुच्छेद 370 को खत्म कर दिया जाए, क्योंकि यही सभी परेशानियों की जड़ है. उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 के रहते लोकतंत्र कभी फल-फूल नहीं सकता. पिछले दो दशकों में राज्य में लगभग 41 हजार लोग मारे गए हैं.
बहरहाल, ये कश्मीर के पुनर्जन्म की बेला है क्योंकि अब जम्मू-कश्मीर का भोगौलिक और राजनीतिक नक्शा पूरी तरह बदल गया है. संसद में जम्मू-कश्मीर को लेकर केंद्र सरकार का एक फैसला और विधेयक पेश किए उनके तीन बड़े मायने हैं.
पहला
राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद अब कश्मीर में 370 के आर्टिकल-1 को छोड़कर बाकी सभी धाराएं खत्म कर दी गई हैं जिनमें 35ए भी शामिल है..
दूसरा
जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक के जरिये कश्मीर से पूर्ण राज्य का दर्जा छीन लिया जाएगा. अब जम्मू-कश्मीर एक केंद्र शासित प्रदेश होगा और लद्दाख दूसरा केंद्र शासित प्रदेश होगा.
तीसरा
जम्मू-कश्मीर में दिल्ली की तरह विधानसभा होगी लेकिन लद्दाख को चंडीगढ़ की तरह बिना विधानसभा का केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया है.
जम्मू कश्मीर का नक्शा बदलने तक बात सीमित नहीं है. कश्मीर में और भी बहुत कुछ बदल गया है. क्योंकि अब कश्मीर में धारा 370 के उन सारे प्रावधानों का खात्मा हो जाएगा जो जम्मू-कश्मीर को भारत का हिस्सा होते हुए भी अपना अलग संविधान लागू करने की इजाजत देता था.
अब क्या हो पाएगा
-जम्मू-कश्मीर में अब देश का कोई भी नागरिक संपत्ति खरीद पाएगा
-जम्मू-कश्मीर में अब देश का कोई भी नागरिक नौकरी हासिल कर पाएगा
-जम्मू-कश्मीर में अब देश का कोई भी नागरिक चुनाव लड़ पाएगा
-जम्मू-कश्मीर में अब अलग झंडा नहीं होगा..सिर्फ तिरंगा लहराया जाएगा
-जम्मू-कश्मीर में भी अब राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रीय प्रतीकों का अपमान दंडनीय होगा
-देश के लिए संसद में बनने वाला हर कानून अब जम्मू-कश्मीर में भी लागू होगा
-जम्मू-कश्मीर में भी अब राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकेगा
-जम्मू-कश्मीर में अब विधानसभा का कार्यकाल 6 साल की बजाय बाकी राज्यों की तरह 5 साल का होगा
-जम्मू-कश्मीर में भी अब सूचना का अधिकार जैसे कानून लागू हो सकेंगे जो अबतक नहीं होते थे
-देश में वित्तीय आपातकाल लगाने का प्रावधान जम्मू-कश्मीर में भी लागू होगा जो अबतक नहीं होता था
-जम्मू-कश्मीर में अब रणवीर पीनल कोड यानी RPC की जगह इंडियन पीनल कोड यानी IPC लागू होगी
-जम्मू-कश्मीर में अबतक बाकी राज्यों की तरह आरक्षण के नियम लागू हो सकेंगे
एक देश-एक विधान
जम्मू-कश्मीर की महिला, अगर किसी दूसरे राज्य के नागरिक से शादी करेगी तो वो संपत्ति के हक से वंचित नहीं रहेगी. आसान भाषा में कहें तो अब जम्मू-कश्मीर भी एक देश-एक विधान पर चलेगा.
वैसे ध्यान देने वाली एक महत्वपूर्ण बात ये भी है कि कश्मीर में धारा-370 के प्रावधान-1 को छोड़कर बाकी सारे प्रावधान खत्म हो जाएंगे. यानी धारा-370 पूरी तरह खत्म नहीं हुई है. लेकिन पूरी तरह बेअसर जरूर हो गई है.
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को पूरी तरह तभी खत्म किया जा सकता था जब देश की संसद के अलावा जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा इसकी मंजूरी देती. लेकिन अब जम्मू-कश्मीर का अलग संविधान रद्द होने के बाद संसद और जम्मू-कश्मीर विधानसभा की मंजूरी से 370 को पूरी तरह रद्द किया जा सकता है.
कुल मिलाकर जम्मू-कश्मीर में धारा 370 के सारे दांत तोड़े जा चुके हैं और इसी के साथ ही 17 नवंबर 1956 को लागू हुआ कश्मीर का अलग संविधान भी पूरी तरह बेकार हो जाएगा.

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