जेपी नड्डा की बैठक से क्यों ग़ायब रहे एमपी के बीजेपी विधायक?

मध्य प्रदेश में बीजेपी विधायकों पर राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा का ‘भय’ भी ‘बेअसर’ रहा है। पार्टी की बैठक में कई विधायक नहीं पहुँचे। पार्टी विधायकों के इस ‘रवैये’ ने विधानसभा में दो विधायकों द्वारा क्रॉस वोटिंग से तिलमिलाये राज्य इकाई के रणनीतिकारों के ‘होश फाख्ता’ कर दिए हैं। इससे एक यह सवाल खड़ा हो रहा है कि कमलनाथ एंड कंपनी ने ‘सर्जिकल स्ट्राइक पार्ट टू’ के लिए ‘स्क्रिप्ट’ तो तैयार नहीं कर ली है?
बीजेपी की राज्य इकाई ने गुरुवार शाम एक बैठक बुलाई थी। बैठक में सभी विधायकों की उपस्थिति अनिवार्य की गई थी। पार्टी दफ़्तर से हरेक विधायक को लिखित सूचना के साथ कई बार मौखिक सूचना भी दी गई थी। प्रदेश कार्यालय मंत्री सत्येन्द्र भूषण ने ख़ुद दो से तीन बार हरेक विधायक को फ़ोन लगाकर बैठक की अहमियत बता दी था।
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सूत्रों के अनुसार विधायकों को चार-पाँच दिन पहले ही बता दिया गया था कि बैठक में पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष जे.पी. नड्डा भी मौजूद रहेंगे, लिहाज़ा तैयार रहें। हालाँकि नड्डा के आने का कोई कार्यक्रम नहीं था। रणनीतिकार मानकर चल रहे थे कि नड्डा के आने की सूचना की वजह से बैठक में हरेक विधायक अवश्य पहुँचेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
बेहद अहम बैठक में एक दर्जन से ज़्यादा विधायक नहीं पहुँचे। बैठक में नहीं आ पाने को लेकर अधिकांश ने वक़्त रहते कारण साफ़ कर दिए, लेकिन कुछ ऐसे भी रहे जिन्होंने कोई सूचना नहीं दी। अनेक नए विधायकों ने ऐसे कारण दिए जो पार्टी के गले नहीं उतर पा रहे हैं। कुल मिलाकर पहली बार चुनकर आए विधायकों के रवैये ने पार्टी को सिर धुनने पर मजबूर कर दिया।
मध्य प्रदेश विधानसभा के हालिया बजट सत्र में सदन में दो विधायकों ने क्रॉस वोटिंग कर दी थी। सतना ज़िले की मैहर विधानसभा से आने वाले नारायण त्रिपाठी और शहडोल ज़िले की ब्यौहारी से विधायक शरद जुगलाल कोल ने बीजेपी को गच्चा देते हुए एक बिल पर सरकार के पक्ष में वोट दिया था। पुराने कांग्रेसी इन दो विधायकों के क़दम से बीजेपी हिल गई थी। वोटिंग के बाद से दोनों विधायक बीजेपी से दूरी बनाए हुए हैं। इधर अभी भी उस सदमे से पार्टी उबर नहीं पायी है। आगे कोई ‘अनहोनी’ न हो, इसके भरपूर प्रयास बीजेपी खेमे में हो रहे हैं।
बैठक में 15 विधायक नहीं पहुँचे
तमाम कोशिशों के बीच गुरुवार को बैठक में 15 विधायकों के न पहुँचने से मध्य प्रदेश बीजेपी के रणनीतिकार ख़ासे चिंतित हैं। यहाँ उल्लेखनीय है कि सदन में बीजेपी के दो विधायकों को तोड़ लेने के बाद सत्तारूढ़ दल के ‘कई मैनेजरों’ ने दावा किया था कि बीजेपी के कुछ और विधायक कांग्रेस में आने के लिए एक टांग पर तैयार खड़े हैं। ऐसे दावों में यह भी कहा गया कि कांग्रेस किसी को नहीं तोड़ रही है, बीजेपी में ‘घुटन’ महसूस करने वाले विधायकों ने ख़ुद होकर कांग्रेस का दरवाज़ा खटखटाया है। कमलनाथ सरकार में मंत्री दर्जा प्राप्त नर्मदा समग्र आंदोलन के मुखिया कम्प्यूटर बाबा ने ऑन कैमरा कहा, ‘बीजेपी के पाँच विधायक किसी भी दिन कांग्रेस में आ सकते हैं।’
दो विधायकों द्वारा क्रॉस वोटिंग और कुछ और बीजेपी विधायकों के टूटकर कांग्रेस में आने की संभावनाओं संबंधी दावों को बल स्वयं मध्य प्रदेश बीजेपी के नेताओं से मिल रहा है। प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष और जबलपुर से सांसद राकेश सिंह ने स्वयं कहा है, ‘कांग्रेस खेमे के लोग बीजेपी के विधायकों को ख़रीदने का प्रयास कर रहे हैं। तमाम प्रलोभन उन्हें दिये जा रहे हैं।’
हमारे विधायकों पर डोरे डाल रही कांग्रेस: बीजेपी
बीजेपी की बैठक में 15 विधायकों की अनुपस्थिति के बाद भी राकेश सिंह ने अपना पुराना राग दोहराया, ‘बीजेपी के विधायकों को कांग्रेस लालच दे रही है।’ विधायकों की अनुपस्थिति पर उन्होंने कहा, ‘बैठक में न आने वाले सभी विधायकों ने नहीं आ पाने के कारण वक़्त रहते पार्टी को बता दिए थे।’ उन्होंने इशारों में विधायकों की अनुपस्थिति को तोड़फोड़ से जोड़ने को अनुचित क़रार दिया। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने कहा, ‘कांग्रेस हमारे विधायकों पर निरंतर डोरे डाल रही है, लेकिन हमारे विधायक लोहे के चने हैं। जो इन चनों को चबाने की कोशिश करेगा - उसके दाँत टूट जाएँगे।’ गोपाल भार्गव के इस कटाक्ष का कमलनाथ सरकार के मंत्री जीतू पटवारी ने दिलचस्प अंदाज़ में जवाब दिया, उन्होंने कहा, ‘अभी तो दो दाँत (दो विधायक) टूटे हैं। यदि बीजेपी नकारत्मक राजनीति नहीं छोड़ेगी तो उसकी बत्तीसी टूट जाएगी।’
बैठक से 5 पूर्व मंत्री भी रहे थे ‘नदारद’
जो 15 विधायक बैठक में नहीं पहुँचे उनमें पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा, भूपेन्द्र सिंह, यशोधरा राजे सिंधिया, बृजेन्द्र प्रताप सिंह और मनोहर ऊँटवाल भी शामिल रहे। न पहुँचने वाले अन्य विधायकों में संदीप जायसवाल, शैलेन्द्र जैन, पंचूलाल प्रजापति, ओम प्रकाश सकलेचा, राकेश गिरी, नारायण त्रिपाठी, शरद कोल, राहुल लोधी, प्रहलाद लोधी और अनिरुद्ध माधव शुमार रहे। राकेश गिरी तो भोपाल में होते हुए बैठक में नहीं आए।

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