किसानों के हाथ में है सीएम फडणवीस की वापसी की चाबी
बीते महीनेभर में दो बार ऐसे मौके आये जब महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि आगामी विधानसभा चुनावों के बाद वे ही फिर से मुख्यमंत्री बनेंगे. फडणवीस के इस आत्मविश्वास के पीछे इस साल हुए लोकसभा चुनाव के नतीजे रहे जिनमें 48 में से 41 सीटें राज्य में बीजेपी-शिवसेना गठबंधन को मिलीं. लोकसभा चुनाव से पहले आशंका जताई जा रही थी कि तमाम मुद्दों पर किसानों की नाराजगी और सूखे की वजह से शायद लोग राज्य में सत्तासीन बीजेपी-शिवसेना को वोट न दें, लेकिन उन तमाम अटकलों को खारिज करते हुए फिर से इस गठबंधन ने यहां जीत हासिल की. लोकसभा चुनाव में तो किसानों का मुद्दा नतीजों को प्रभावित नहीं कर सका, लेकिन उसके कुछ महीने बाद होने जा रहे विधानसभा चुनाव में बात अलग है. अगली सरकार की चाभी किसानों के हाथ में नजर आ रही है.
महाराष्ट्र के 36 में से 31 जिले सूखे से प्रभावित रहे हैं. जून के आखिरी हफ्ते से जो बारिश शुरू हुई उसने उत्तरपश्चिमी महाराष्ट्र के जिलों को तो सूखे से राहत पहुंचाई, लेकिन अब भी मराठवाडा और विदर्भ जैसे हिस्सों पर बादल सिर्फ बूंदें छिड़क कर चले गये. पानी की किल्लत विकराल है. हजारों गांव अब भी टैंकर पर निर्भर हैं और मवेशियों को सरकार और सामाजिक संस्थओं की ओर से चलाये जा रहे कैटल कैंप्स में रखा जा रहा है. सूखे के अलावा किसानों की शिकायत है कि महाराष्ट्र सरकार की ओर से दो साल पहले की गई कर्जमाफी के एलान का फायदा सभी किसानों को नहीं मिल पा रहा. फसल बीमा के लिये बीमा कंपनियों को सरकार ने पैसा तो दिया, लेकिन भुक्तभोगी किसानों को पैसा नहीं मिल पा रहा. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सूखाग्रस्त इलाकों के लिये जनयुक्त शिविर योजना शुरू की थी जिसमें भूजल स्तर को बढाने का प्रयास किया गया था, लेकिन पिछले साल कम बारिश की वजह से ये योजना अपना मकसद हासिल न कर सकी.