हकीकत जानने जंगल-जंगल जा रहे हैं वनमंत्री

मध्य प्रदेश में जल, जंगल और जमीन हमेशा से मुद्दा रहा है, क्योंकि वनवासियों और वन विभाग के बीच विवाद होना यहां आम रहा है, मगर मौजूदा सरकार हालात में कुछ बदलाव लाने की कोशिश में है। सरकार वनवासियों को पट्टा देने की पक्षधर है, इसलिए वनमंत्री जंगल-जंगल जाकर जमीनी हकीकत जानने में जुटे हैं।

पिछले दिनों बुरहानपुर जिले के नेपानगर में वन भूमि से अतिक्रमण हटाने को लेकर वन विभाग के अमले और वनवासियों के बीच विवाद हुआ, संघर्ष की स्थिति भी बनी, पुलिस ने हवाई फायरिंग की, इसमें कई लोगों को चोटें भी आईं। इस पर सरकार ने जांच के आदेश दिए। नेपानगर के वनवासियों की वास्तविक परेशानी जानने के लिए वनमंत्री उमंग सिंघार खुद रविवार को मौके पर जा पहुंचे। रात का समय था, इस दौरान आदिवासी संगठनों से जुड़े लोगों ने उन्हें घेर लिया। यह घटना जब हुई तब जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक और वन विभाग के अधिकारी मंत्री और भीड़ से काफी दूर खड़े रहे। मंत्री सिंघार स्वयं आदिवासी समुदाय से आते हैं, लिहाजा उन्होंने पीड़ित पक्ष से आदिवासी भाषा में संवाद किया और भरोसा दिलाया कि सरकार उनकी हर संभव मदद करेगी। वनमंत्री ने अन्य अधिकारियों के साथ उस स्थान का भी जायजा लिया, जहां वृक्षों की कटाई हुई थी और वनवासियों के मकान हटाने की कोशिश की गई थी। 

वनवासियों ने वनमंत्री सिंघार को अपनी समस्याएं बताईं और आरोप लगाया कि बाहरी लोग जंगल पर कब्जा कर रहे हैं और वन विभाग वनवासियों को परेशान कर रहा है। इस पर वनमंत्री ने उन्हें भरोसा दिलाया कि उनके साथ किसी तरह का अन्याय नहीं होगा। जंगल और वनवासियों के बीच जाने को लेकर सवाल पूछे जाने पर सिंघार ने कहा,‘हम जब तक वनवासियों के बीच नहीं जाएंगे, जंगल को करीब से नहीं देखेंगे, तब तक वास्तविकता का पता नहीं चल सकेगा। यही कारण है कि जब भी मौका मिलता है, इन स्थानों पर जाना उचित समझता हूं। जंगल और वनवासियों की स्थिति को सुधारने के उपाय तभी किए जा सकेंगे, जब सही तस्वीर सामने होगी।’ 

वनमंत्री का इन प्रवासों के दौरान गंवाई अंदाज भी नजर आता है। आदिवासी वर्ग से तल्लुकात रखने वाले सिंंघार खालिस जमीन पर बैठकर अधिकारियों के साथ बैठक कर लेते हैं और साथियों के साथ भोजन करने में भी नहीं हिचकते। यह पहला मौका नहीं है, जब वनमंत्री सीधे जंगल में जा पहुंचे। इससे पहले सिंघार ने कान्हा राष्ट्रीय उद्यान में पहुंचकर हालात का जायजा लिया था और कई किलोमीटर तक का पैदल रास्ता तय किया था। इतना ही नहीं, नर्मदा कछार के अंतर्गत दो जुलाई, 2017 को रोपे गए पौधों की पड़ताल करने के लिए वनमंत्री सिंघार ने बैतूल जिले के शाहपुर रेंज के कम्पार्टमेंट नंबर-227 की जांच की थी। इसमें बड़े पैमाने पर अनियमितता सामने आने पर कई अफसरों को निलंबित किया था। 

यहां आंकड़ों के हिसाब से 15 हजार 526 पौधे रोपे गए थे, मगर मौके पर मात्र 15 प्रतिशत (दो से तीन हजार) पौधे ही जीवित पाए गए और गड्ढे महज 9000 मिले थे। ज्ञात हो कि नर्मदा कछार में दो जुलाई, 2017 को पूर्ववर्ती शिवराज सिंह चौहान की सरकार के कार्यकाल में एक दिन में सात करोड़ से ज्यादा पौधे रोपने का दावा किया गया था। इस पर कांग्रेस ने पौधरोपण के आंकड़े में गड़बड़ी का आरोप लगाया था। सत्ता में आने के बाद से कांग्रेस लगातार जांच की बात कह रही है। वन विभाग तो इसकी जांच भी करा रहा है।  

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