पहाड़ पर कचरा, जमीन पर दावे; रोजाना निकल रहा 30 टन प्‍लास्टिक कचरा

पर्यावरण संरक्षण के लिए सरकारें कई दावे करती हैं। लोगों को जागरूक करने के लिए अभियान चलाने के अलावा पर्यावरण दिवस पर कई कार्यक्रम होते हैं। इसके बावजूद हिमाचल में आलम यह है कि पहाड़ पर कचरा है और तमाम दावे जमीन पर हैं। प्रदेश में रोजाना करीब 30 टन प्लास्टिक कचरा निकल रहा है। प्रदेश के शहर सालभर में करीब दस हजार टन प्लास्टिक कचरा उगल रहे हैं। इसमें से केवल 1460 टन कचरे का निष्पादन किया जा रहा है। रोजाना करीब चार टन कचरे का सुरक्षित निष्पादन हो पा रहा है। बाकी का प्लास्टिक कचरा प्रदेश के पर्यावरण को दूषित कर रहा है।
प्रदेश में रोज निकलने वाले प्लास्टिक कचरे में से करीब 60 फीसद प्लास्टिक कचरा पैकिंग का है। प्रदेश के पर्यटन स्थलों पर सबसे अधिक प्लास्टिक कचरा है। हैरत यह है कि सरकार के नुमाइंदे ही पर्यावरण संरक्षण के लिए गंभीर नहीं हैं। हिमाचल सरकार ने प्रदेश में पॉलीथीन के प्रयोग पर प्रतिबंध लगाया था। पॉलीथीन प्रयोग करने वालों पर कार्रवाई व चालान करने की शक्ति 10 विभागों को दी गई थी। लेकिन कुछ विभागों को छोड़कर अन्य विभागों के अधिकारियों ने न तो पॉलीथीन बैग का प्रयोग करने से लोगों को रोका और न ही कार्रवाई की। इसका खुलासा प्रदेश में पिछले 11 वर्षों के दौरान पॉलीथीन प्रयोग पर किए चालान के आंकड़े से होता है।

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