मध्य प्रदेशः गौरक्षा के नाम पर हिंसा के ख़िलाफ़ क़ानून की तैयारी, क्या होगी सज़ा

मध्य प्रदेश सरकार ने गौरक्षा के नाम पर मार-पीट करने वाले लोगों पर कार्रवाई के लिए क़ानून बनाने का फैसला किया है. इसमें सरकार सज़ा का प्रावधान करने जा रही है. प्रदेश सरकार ने इस प्रस्ताव को अपनी सहमति दे दी है. मानसून सत्र में इसे पेश करके क़ानून की शक्ल दे दी जाएगी. मध्यप्रदेश देश का वो पहला राज्य होगा जहां पर गौरक्षा के नाम पर होने वाली कथित गुंडागर्दी पर लगाम लगाने के लिए क़ानून बनाया जा रहा है. इस क़ानून का मसौदा पूरी तरह से तैयार हो चुका है और अगले महीने 8 जुलाई से होने वाले विधानसभा सत्र में इसे पेश किया जाएगा, ताकि ये क़ानून बन सके.
कैबिनेट ने दी मंज़ूरी
मध्य प्रदेश में ऐसे कई मामलें सामने आ चुके हैं, जिसमें कई लोगों की पिटाई इस आरोप में कर दी गई कि उन पर शक था कि वह गौ मांस ले जा रहे थे. पिछले महीने ही सिवनी में तीन लोगों की पिटाई का वीडियो वायरल हुआ, जिसमें दो युवकों और एक महिला को इसलिए निशाना बनाया गया क्योंकि उन पर गौ मांस ले जाने का संदेह था. प्रदेश के क़ानून मंत्री पीसी शर्मा कहते हैं, "सरकार बनने के बाद कमलनाथ सरकार ने दो कदम उठाए. पहला किसानों का कर्ज माफ और दूसरा गौ रक्षा."
"गौरक्षा में ही प्रयास किया गया कि गौशालाओं को जगह दी जाए ताकि हमारी गौ माताएं, जो इधर-उधर घूमती हैं, उन्हें स्थान मिल सके और वो वहां रह सकें. इसके साथ ही गौरक्षा के नाम पर तथाकथित कुछ दल, कुछ संस्थाएं क़ानून हाथ में लेती हैं और हिंसा करती हैं. इनके लिए एक क़ानून बनेगा और मध्य प्रदेश कैबिनेट ने कमलनाथ जी के नेतृत्व में उसे पास कर दिया है. अब यह विधानसभा में जाएगा और क़ानून बन जाएगा."
पीसी शर्मा ने यह भी बताया कि इस क़ानून में कई तरह की सज़ा का प्रावधान किया जा रहा है ताकि गौरक्षा के नाम पर सड़कों पर होने वाली कथित मारपीट को रोका जा सके.
सज़ा के साथ जुर्माना
क़ानून मंत्री पीसी शर्मा ने कहा, "इसमें सज़ा के साथ ही जुर्माने का भी प्रावधान किया गया है. जो अपराध बार-बार दोहराएगा, उसके लिए ज़्यादा सज़ा का प्रावधान किया जा रहा है."
उधर विपक्षी भारतीय जनता पार्टी को इस क़ानून से एतराज़ है. पार्टी का मानना है कि अगर किसी तरह का क़ानून लाया जाना चाहिए था तो मॉब लिंचिंग के ख़िलाफ लाते, जिसके बारे में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है. प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल कहते हैं कि यह कानून गौरक्षकों को ही निशाने पर लेने के लिए बनाया गया है.
उन्होंने कहा, "यह सांप्रदायिक खेल खेला जा रहा है. क्या मॉब लिंचिंग केवल गौरक्षक करते हैं. केवल गौरक्षकों के मामले में क्यों? आप सुप्रीम कोर्ट की मंशा के मुताबिक़ सभी मॉब लिंचिंग के मामलों के लिए क़ानून बनाइए."
क्या कहता है मौजूदा क़ानून
मध्य प्रदेश में अभी जो क़ानून है उसके तहत गौवंश की हत्या, गौ मांस रखने और उसके परिवहन पर पूरी तरह से रोक लगी हुई है. अब इसमें भी सरकार संशोधन करने जा रही है. विभाग का कहना है कि कई बार कथित तौर पर कुछ संगठन सड़कों पर गायों को ले जा रही गाड़ियों को रोकते हैं और कथित तौर पर पैसे लेकर छोड़ देते हैं या फिर गाड़ियों को रोक कर थाने में खड़ा करवा देते हैं.
अब अगर कोई व्यक्ति गाय का परिवहन करना चाहता है तो उसे प्रशासन से एनओसी लेकर और उसे चस्पा करके ले जाना होगा. इस तरह की गाड़ियों को कोई भी संगठन रोक नहीं सकता है. अगर वह रोककर मारपीट करता है तो उसके ख़िलाफ़ कार्रवाई की जाएगी. मध्यप्रदेश सरकार के नए बनने वाले कानून के मुताबिक़ यदि कोई व्यक्ति गौरक्षा के नाम पर मार-पीट करता है तो उसे पांच साल तक की सज़ा दी जा सकती है. साथ ही इसमें 50 हज़ार रुपये तक के जुर्माना का प्रावधान भी किया गया है. कांग्रेस ने इस क़ानून को बनाने का वादा अपने चुनावी घोषणा पत्र में किया था.

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