नहीं थम रही कांग्रेस में खींचतान, सबको साधने का फार्मूला निकालेंगे अनुग्रह

उत्तराखंड की पांच संसदीय सीटों पर दावेदारी को लेकर कांग्रेस के भीतर खेमेबंदी और खींचतान थमने का नाम नहीं ले रही है। राज्य में पार्टी के भीतर वर्चस्व कायम रखने की अंदरखाने चल रही जंग लोकसभा चुनाव के मौके पर पार्टी की मुश्किलें बढ़ा रही है। हाईकमान के निर्देश पर प्रदेश प्रभारी अनुग्रह नारायण सिंह गुटीय खींचतान पर अंकुश और सबको साधकर लोकसभा चुनाव में मजबूती से खम ठोकने का फार्मूला भी तय करेंगे। 
पार्टी लोकसभा की पांचों सीटों पर काबिज भाजपा को चुनौती देने और आम चुनाव में खाता खोलने के साथ ही अधिक संख्या में सीटें अपनी झोली में डालने की कोशिशों में जुटी है। इसके लिए सबसे पहले अपने घर को ही दुरुस्त करने की चुनौती से पार्टी को जूझना पड़ रहा है। 
नगर निकाय चुनाव में पार्टी को कामयाबी तो मिली, लेकिन यह बात भी सामने आई कि पार्टी के भीतर खींचतान न होने से प्रदर्शन की तस्वीर कुछ और ही नजर आ सकती थी। फिलहाल पार्टी हाईकमान ने अपनी रणनीति को अंजाम देने का जिम्मा प्रदेश प्रभारी अनुग्रह नारायण सिंह को सौंपा है।
लोकसभा चुनाव के लिए गठित प्रदेश चुनाव समिति, समन्वय समिति, प्रचार समिति, मीडिया समन्वय समिति और चुनाव अभियान समिति की कमान प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह या राज्य के किसी भी दिग्गज के सुपुर्द करने के बजाय प्रदेश प्रभारी को ही सौंपी है। 
बीते दिनों लोकसभा चुनाव के लिए प्रत्याशियों के चयन को प्रदेश संगठन की ओर से निर्धारित की गई प्रक्रिया से पूर्व मुख्यमंत्री एवं पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत समेत कई क्षत्रपों में नाराजगी देखी जा चुकी है। पांच संसदीय सीटों पर संभावित दावेदारों के नाम के पैनल जिला इकाइयों की ओर से प्रदेश को भेजे जा चुके हैं। 
नैनीताल, हरिद्वार, अल्मोड़ा, टिहरी के साथ ही पौड़ी संसदीय सीट पर दावेदारों को लेकर रावत खेमे और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह व नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश के खेमे के बीच असंतोष के सुर का असर विधायकों और पूर्व विधायकों के बीच खींचतान के रूप में सामने आ चुका है। 
इससे निपटने को प्रदेश प्रभारी अनुग्रह नारायण सिंह उत्तराखंड में डेरा डाल चुके हैं। मंगलवार को हरिद्वार में कार्यकर्ताओं से फीडबैक लेने के बाद वह बुधवार को चार चुनाव समितियों की बैठक में भी शिरकत करेंगे। इन बैठकों में संभावित प्रत्याशियों के नाम पर मंथन के साथ ही तालमेल बिठाने और सबको साधने पर फोकस रहना तकरीबन तय है।

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