छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद प्रदेश भाजपा के अंदर सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. सबसे बड़ी समस्या वहां भाजपा के बेंच स्ट्रेंथ न बना पाने की है.
राज्य में भाजपा नेताओं की दूसरी खेप अभी ठीक से तैयार नहीं हो पा रही है. ये न तो संगठन के कार्यक्रम में नजर आते हैं और न ही किसी धरना प्रदर्शन में दिखाई देते हैं.
किसी भी प्रोटेस्ट में छत्तीसगढ़ की सडकों पर केवल पुराने चेहरे ही दिखाई देते हैं. किसी जमाने में जमीन पर सक्रीय नजर आने वाले पूर्व सांसद अभिषेक सिंह हो या बीजेवायएम के प्रदेश अध्यक्ष विजय शर्मा या फिर पूर्व कलेक्टर ओपी चौधरी, ये सारी यूवा ब्रिगेड अब यदा कदा ही दिखाई देती है.
हालांकि भाजपा इस बात से इंकार करती है. लेकिन जब उससे युवा पीढ़ी के नेताओं के नाम के बारे में पूछा जाता है तो वे पहले पायदान वाले नेताओं का ही नाम दोहराते हैं.
इस मुद्दे पर छत्तीसगढ़ कांग्रेस का कहना है कि भाजपा के कई वरिष्ठ नेता खुद नहीं चाहते हैं कि कोई आगे आए. भाजपा में अब निपटो और निपटाओ अभियान की संस्कृति शुरू हो चुकी है.