पूर्व मुख्यमंत्रियों की सुविधाओं के अध्यादेश को लेकर सरकार पर फूटा हरीश रावत का गुस्सा

  • उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने एक बार फिर प्रदेश सरकार पर हमला बोला है. उन्होंने सोशल मीडिया का सहारा लेते हुए कहा कि पूर्व मुख्यमंत्रियों की सुविधाओं के मुद्दे पर सरकार को सभी को एक समान रखना चाहिए. 
  • वहीं एनआरएचएम घोटाले पर हरीश रावत ने सरकार से सीबीआइ जांच की अनुमति देने में हो रही देरी की वजह भी पूछी है.
  • दरअसल, 13 अगस्त को मंत्रिमंडल ने गुपचुप तरीके से पूर्व मुख्यमंत्रियों को सुविधाएं देने संबंधी अध्यादेश को मंजूरी दे दी थी. इस अध्यादेश में एक नया प्रावधान जोड़ा गया था, जिसके तहत अभी तक के सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को ही सुविधा मिल सकेंगी और भविष्य के पूर्व मुख्यमंत्रियों को ये सुविधाएं नहीं दी जाएंगी. फिलहाल, हाईकोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए इस अध्यादेश को रोक दिया है. 
  • पूर्व मुख्यमंत्री ने ट्वीट कर लिखा, “मैं पूर्व मुख्यमंत्रियों की सुविधा, किराया आदि के सवाल पर कुछ बोलना नहीं चाहता हूँ. यदि आप एक सामान्य नियम बनायें, तो बात समझ में आती है. यदि आप  आज कुछ भूतपूर्व मुख्यमंत्रियों का किराया आदि माफ कर देंगे, उनकी सुविधाओं को अनुमन्य मान लेंगे,तो भविष्य में जो भी यहां का भूतपूर्व मुख्यमंत्री होगा, वह सरकारी आवास नहीं छोड़ेगा और वह भी प्रतीक्षा करेगा कि कोई सुविधाजनक सरकार आयेगी, तो मेरा भी किराया माफ कर देगी.”
  • एनएआरएचम घोटाले पर हरीश रावत ने सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि भाजपा नेताओं का कहना है कि उन पर किया गया स्टिंग उनके कर्मों का फल है. तो अब एनएचआरएम घोटाले में सीबीआइ जो कार्रवाई करना चाहती है, प्रदेश सरकार उन्हें क्यों बचा रही है?
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