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सरकार ने राजभवन से वापस मंगाया पूर्व मुख्यमंत्रियों की सुविधाओं को लेकर जारी अध्यादेश

इसे अदालत का सख्त रुख कहें या जनमत का दबाव। पूर्व मुख्यमंत्रियों की सुविधाओं को लेकर जारी अध्यादेश को मंत्रिमंडल की मंजूरी मिलने के बाद सरकार ने ऐनवक्त पर अपना इरादा बदलते हुए अध्यादेश में भी संशोधन कर डाला। इसका असर ये हुआ कि अध्यादेश में पूर्व मुख्यमंत्रियों को तमाम सुविधाएं पीछे राज्य गठन की तारीख नौ नवंबर, 2000 से मंजूर की गई, लेकिन इन्हें भविष्य में भी बहाल रखने से सरकार ने कदम पीछे खींच लिए।
उत्तराखंड भूतपूर्व मुख्यमंत्री (आवासीय एवं अन्य सुविधाएं) अध्यादेश, 2019 की अधिसूचना बीती पांच सितंबर को जारी कर दी गई है। इस अध्यादेश को बीती 13 अगस्त को मंत्रिमंडल ने गुपचुप तरीके से मंजूरी दी थी। हाईकोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्रियों को सुविधाएं देने के मामले में सख्त रुख अपनाया है। साथ ही मंत्रिमंडल का फैसला सार्वजनिक होने के बाद इस मुद्दे पर बुद्धिजीवियों से लेकर आम लोगों का रोष सामने आया। इसके बाद सरकार पर अपने ही फैसले को लेकर दबाव साफतौर पर तारी दिखा।

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