फ्रांस में पीएम मोदी देंगे भारतीय परमाणु कार्यक्रम के जनक भाभा को खास श्रद्धांजलि

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस सप्ताह फ्रांस के द्विपक्षीय दौरे पर होंगे और अपनी इस यात्रा में भारतीय परमाणु कार्यक्रम के जनक होमी जहांगीर भाभा को भी एक खास श्रद्धांदलि भी देंगे. ताजा फ्रांस दौरे में पीएम मोदी एक विशेष स्मारक का उद्घाटन करेंगे जो 1950 और 1966 में हुए विमान हादसों में मारे गए लोगों की स्मृति में बनाया गया है. फ्रांस के मोंट ब्लांक पर जनवरी 1966 में हुए एयर इंडिया विमान हादसे का शिकार बनने वालों में भारत के ख्यात परमाणु वैज्ञानिक होमी भाभा भी शामिल थे.
यह दुखद संयोग ही था कि महज 16 सालों के अंतराल में एक ही स्थान पर एयर इंडिया के दो विमान दुर्घटनाओं का शिकार हुए. आल्प्स पर्वत क्षेत्र में मोंट ब्लांक पर पहले 1950 और फिर 1966 में एयर इंडिया के दो विमान दुर्घटना का शिकार हुए जिनमें 165 लोग मारे गए. 1966 में मुंबई से लंदन जा रही एयर इंडिया की फ्लाइट 101 में होमी जहांगीर भाभा भी शामिल थे जो एक कांफ्रेंस में भाग लेने के लिए इस कंचनजंगा विमान में सवार थे. फ्रांस के कठिन पर्वतीय क्षेत्र में होने के कारण आज तक उनके अवशेष भी नहीं मिल पाए.
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हालांकि कुछ साल पहले एक स्विस पर्वतारोही डेनियल रोश ने अपने चढ़ाई मिशन के दौरान कई बैग, कुछ मानव अवशेष और विमान इंजन का पता लगाया था. वर्ष 2012 में भारत सरकार ने इन अवशेषों में से कुछ डिप्लोमैटिक बैग हासिल किए थे.
विदेश मंत्रालय के मुताबिक अपनी फ्रांस यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पेरिस में एअर इंडिया के दो हादसों में मारे गए लोगों की स्मृति में बने स्मारक का अनावरण करेंगे.
आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक फ्रांस के सुदूर पर्वतीय इलाके में बना यह स्मारक एक प्रयास है उन भारतीय लोगों को श्रद्धांजलि देने का जिन्होंने 1950 और 1966 के इन हादसों में अपनी जान गंवाई. स्मारक आल्प्स के करीब नीड डी ईगल में बनाया गया है.
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री 22-23 अगस्त को फ्रांस के द्विपक्षीय दौरे पर जा रहे हैं. वहीं मोदी 25-26 तारीख को फ्रांस में जी-7 शिखर सम्मेलन में भी शरीक होंगे. इस दौरान 24-25 को पीएम बहरीन और संयुक्त अरब अमीरात भी जाएंगे. सूत्रों के मुताबिक शिलाकूट की शक्ल में बने इस स्मारक का हर एक पत्थर उन लोगों के प्रति दोनों देशों के लोगों की समवेत औऱ संतुलित भावना का प्रतीक है जिन्होंने इन विमान हादसों में अपनी जान गंवाई. एक के ऊपर एक रखे इन पत्थरों का शिलाकूट विपरीत स्थितियों में भी एक-दूसरे की मदद कर खड़े होने की भावना का भी प्रतीक है.
1950 का हादसा
नवंबर 3, 1950 को एअर इंडिया की फ्लाइट संख्या एआई 245 ‘मालाबार प्रिंसेज’ ने मुंबई से लंदन जाने के लिए उड़ान भरी थी. लेकिन यह विमान मोंट ब्लांक पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया और इस हादसे में विमान सवाल सभी 40 यात्री और चालक दल के 8 लोग मारे गए थे.
1966 की विमान दुर्घटना
मालाबार प्रिंसेज के साथ हुए हादसे के 16 साल बाद 24 जनवरी 1966 को एअर इंडिया का बोइंग 707 विमान कंचनजंगा भी मोंट ब्लांक पर ही दुर्घटना का शिकार हुआ. एआई-101 कंचनजंगा फ्लाइट ने मुंबई से उड़ान भरी थी और यह लंदन के लिए रवाना हुआ था. इस विमान हादसे में भी विमान सवार सभी 117 लोग मारे गए थे जिसमें भारत के ख्यात परमाणु वैज्ञानिक होमी जहांगीर भाभा भी शामिल थे.
हालांकि कठिन प्राकृतिक स्थितियों के कारण मालाबार प्रिंसेज या कंचनजंगा हादसे के वर्षों बाद भी दुर्घटना क्षेत्र से यात्रियों के अवशेष भारत नहीं लाए जा सके. ऐसे में नया बना स्मारक उनकी स्मृतियों को विदेशी धरती पर भारतीयों की एक श्रद्धांजलि होगा.
कंचनजंगा हादसे पर उठते रहे सवाल
भारतीय परमाणु कार्यक्रम के जनक कहे जाने वाले होमी भाभा की मौत का कारण बने कंचनजंगा हादसा 1996 में भारत के लिए महज एक पखवाड़े के भीतर मिला दूसरा बड़ा झटका था. इससे पहले 11 जनवरी 1966 को ताशकंद में तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी. होमी भाभा इस विमान से भाभा वियना में एक कांफ्रेंस में हिस्‍सा लेने जा रहे थे.
समृद्ध पारसी परिवार में जन्मे भाभा भौतिकीशास्त्र के दीवाने थे. उन्‍होंने ही भारत के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम की कल्पना की थी और केवल कुछ वैज्ञानिकों की सहायता से मार्च 1944 में न्‍यूक्लियर एनर्जी पर शोध कार्यक्रम शुरू किया था. इतना ही नहीं उस समय नाभिकीय उर्जा से विद्युत उत्पादन पर काम करना शुरु किया जब लोग इस बारे में कम सोचते थे. उन्हें 'आर्किटेक्ट ऑफ इंडियन एटॉमिक एनर्जी प्रोग्राम' भी कहा जाता है.
कंचनजंगा विमान हादसे को लेकर भी दो तरह की बातें की जाती रही. एक थ्‍योरी के अनुसार विमान का पायलट जिनेवा एयरपोर्ट को अपनी सही पॉजीशन बताने में नाकाम रहा जिसके कारण विमान दुर्घटनाग्रस्‍त हो गया था. वहीं कुछ लोग मानते हैं कि यह विमान किसी हादसे का नहीं बल्कि एक षड़यंत्र का शिकार हुआ. कुछ लोग इसके पीछे अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए की योजना का भी दावा करते हैं. इस कड़ी में एक दशक पहले पत्रकार ग्रेगरी डगलस और सीआईए के पूर्व अधिकारी रॉबर्ट टी क्राओली के बीच हुई कथित बातचीत को भी कई समाचार माध्यमों में प्रकाशित किया गया. इस बातचीत में सीआईए अधिकारी रॉबर्ट के हवाले से कहा गया है, भाभा सीआइए के लिए समस्या बन रहे थे. हालांकि ठोस तथ्यों के आधार पर अभी तक किसी भी दावे की पुष्टि नहीं हो सकी.

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