मोहन भागवत के बयान पर, प्रियंका गांधी बोलीं, 'आरएसएस और बीजेपी का असली निशाना सामाजिक न्याय'

आरक्षण पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत के बयान को लेकर राजनीतिक हंगामा जारी है. विपक्षी पार्टियों ने भागवत के बयान को आरक्षण खत्म करने की साजिश के तौर पर देखा है और वह लगातार आरएसएस-बीजेपी पर हमले कर रही है. यही नहीं बीजेपी की सहयोगी एलजेपी ने भी कहा है कि आरक्षण पर कोई चर्चा की जरूरत नहीं है. वहीं चौतरफा हमले को देखते हुए आरएसएस ने सफाई दी है.
आज कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने कहा कि RSS-BJP का असली निशाना सामाजिक न्याय है. उन्होंने कहा, ''RSS का हौसला बढ़ा हुआ है और मंसूबे खतरनाक हैं. जिस समय बीजेपी सरकार एक-एक करके जनपक्षधर कानूनों का गला घोंट रही है. RSS ने भी लगे हाथ आरक्षण पर बहस करने की बात उठा दी है. बहस तो शब्दों का बहाना है मगर RSS-BJP का असली निशाना सामाजिक न्याय है. लेकिन क्या आप ऐसा होने देंगे?''
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राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) नेता और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा कि आरक्षण को लेकर RSS/BJP की मंशा ठीक नहीं है. उन्होंने कहा, ''मोहन भागवत जी के बयान के बाद आपको यह साफ होना चाहिए कि क्यों हम आपको “संविधान बचाओ” और “बेरोज़गारी हटाओ,आरक्षण बढ़ाओ” के नारों के साथ आगाह कर रहे थे.'सौहार्दपूर्ण माहौल' की नौटंकी में ये आपका आरक्षण छीन लेने की योजना में काफी आगे बढ़ चुके है.जागो,जगाओ और अधिकार बचाने की मशाल जलाओ.''
तेजस्वी यादव ने कहा, ''आरक्षण को लेकर RSS/BJP की मंशा ठीक नहीं है. बहस इस बात पर करिए कि इतने वर्षों बाद भी केंद्रीय नौकरियों में आरक्षित वर्गों के 80% पद ख़ाली क्यों है? उनका प्रतिनिधित्व सांकेतिक भी नहीं है. केंद्र में एक भी सचिव OBC/EBC क्यों नहीं है? कोई कुलपति SC/ST/OBC क्यों नहीं है? करिए बहस??''
 
भागवत ने क्या कहा है?
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को कहा था कि जो आरक्षण के पक्ष में हैं और जो इसके खिलाफ हैं उन लोगों के बीच इस पर सौहार्द्रपूर्ण माहौल में बातचीत होनी चाहिए. भागवत ने कहा कि उन्होंने पहले भी आरक्षण पर बात की थी लेकिन इससे काफी हंगामा मचा और पूरी चर्चा वास्तविक मुद्दे से भटक गई. उन्होंने कहा कि आरक्षण का पक्ष लेने वालों को उन लोगों के हितों को ध्यान में रखते हुए बोलना चाहिए जो इसके खिलाफ हैं और इसी तरह से इसका विरोध करने वालों को इसका समर्थन करने वालों के हितों को ध्यान में रखते हुए बोलना चाहिए.

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