370 से ज्यादा सीटों के वोट काउंट में अंतर: EC के पास कोई जवाब नहीं

तर्क किसे कहते हैं और गिनती कैसे की जाती है, ये आपको मालूम होगा. लेकिन जिन आंकड़ों की हम बात करने जा रहे हैं, उनमें तर्क और गिनती के तमाम कायदे-कानून ताक पर रख दिये गए. द क्विंट ने चुनाव आयोग के दो सेट आंकड़ों का अध्ययन किया. पहला सेट था वोटर टर्न आउट या EVMs में दर्ज की गई वोटिंग और दूसरा सेट था चुनाव 2019 के बाद EVM में की गई वोटों की गिनती. पहले से चौथे चरण के चुनाव में हमने 373 सीटें ऐसी पाईं, जहां आंकड़ों के दोनों सेट में फर्क नजर आया.
EC के आंकड़े कहते हैं कि तमिलनाडु की कांचीपुरम सीट पर 12,14,086 वोट पड़े. लेकिन जब सभी EVMs की गिनती हुई तो 12,32,417 वोट निकले. यानी जितने वोट पड़े, गिनती में उससे 18,331 वोट ज्यादा निकले. कैसे? निर्वाचन आयोग के पास इस सवाल का कोई जवाब नहीं.
निर्वाचन आयोग के मुताबिक, तमिलनाडु की ही दूसरी सीट धर्मपुरी पर 11,94,440 वोटरों ने मतदान किया. लेकिन जब गिनती हुई, तो वोटों की संख्या में 17,871 का इजाफा हुआ और कुल गिनती 12,12,311 वोटों की हुई. EVMs ने ये जादू कैसे किया, EC को नहीं मालूम.
निर्वाचन आयोग के ही आंकड़े के मुताबिक, तमिलनाडु की तीसरी संसदीय सीट श्रीपेरुम्बुदुर के EVMs में 13,88,666 वोट पड़े. लेकिन जब गिनती हुई तो वोटों की संख्या 14,512 बढ़ गई और 14,03,178 पर पहुंच गई. इस चमत्कार का भी EC के पास कोई जवाब नहीं.
EC के आंकड़ों के मुताबिक, उत्तर प्रदेश की मथुरा सीट के EVMs में कुल 10,88,206 वोट पड़े, लेकिन 10,98,112 वोटों की गिनती हुई. यानी यहां भी वोटों में 9,906 की बढ़ोत्तरी. कैसे? EC अब भी चुप है.

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