बंगाल शिक्षक घोटाला: सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला नई भर्ती तक नौकरी सुरक्षित
कोर्ट ने कहा है कि जब तक नई भर्ती प्रक्रिया शुरू नहीं होती, तब तक ये शिक्षक अपने पद पर बने रह सकते हैं। हालांकि यह राहत केवल उन्हीं शिक्षकों के लिए है, जिनकी नियुक्ति प्रक्रिया पारदर्शी और वैध पाई गई है।

पश्चिम बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाले में सुप्रीम कोर्ट ने उन शिक्षकों को बड़ी राहत दी है, जिनकी नियुक्ति में कोई अनियमितता नहीं पाई गई। कोर्ट ने कहा है कि जब तक नई भर्ती प्रक्रिया शुरू नहीं होती, तब तक ये शिक्षक अपने पद पर बने रह सकते हैं।
हालांकि यह राहत केवल उन्हीं शिक्षकों के लिए है, जिनकी नियुक्ति प्रक्रिया पारदर्शी और वैध पाई गई है। सुप्रीम कोर्ट के अनुसार, ग्रुप सी और ग्रुप डी में आने वाले शिक्षकों को यह राहत नहीं मिलेगी, क्योंकि इन श्रेणियों में धांधली के मामले अधिक हैं।
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व आदेश के चलते करीब 26,000 शिक्षकों का भविष्य अधर में लटक गया था। नियुक्ति प्रक्रिया में गड़बड़ी के चलते जहां दोषी उम्मीदवारों की नियुक्ति रद्द की गई, वहीं वैध रूप से चयनित उम्मीदवारों को भी नौकरी से हाथ धोना पड़ा।
लेकिन अब सर्वोच्च अदालत ने निर्दोष और योग्य शिक्षकों के लिए स्थायी नियुक्तियों तक राहत प्रदान की है, जिससे उन्हें अस्थायी रूप से नौकरी में बने रहने का अधिकार मिल गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार को निर्देश दिया है कि 31 मार्च से नई नियुक्ति प्रक्रिया शुरू की जाए और इसे 31 दिसंबर 2025 तक पूरा कर लिया जाए। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि नियुक्तियों में कोई देरी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। यह मामला पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (SSC) द्वारा 2016 में आयोजित शिक्षक भर्ती प्रक्रिया से जुड़ा है। आरोप है कि भर्ती में व्यापक स्तर पर भ्रष्टाचार हुआ — मेरिट लिस्ट में हेराफेरी कर कम अंक वालों को नौकरी दी गई, जबकि ज्यादा अंक वाले उम्मीदवार बाहर रह गए।
साल 2022 में सीबीआई ने इस मामले की जांच शुरू की और तत्कालीन शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी से पूछताछ की गई। उन पर आरोप है कि उन्होंने 2014 से 2021 तक शिक्षा मंत्रालय का दुरुपयोग करते हुए अपनों को लाभ पहुंचाया। इसके साथ ही, उनकी करीबी अर्पिता मुखर्जी के आवास पर नकदी की बड़ी खेप बरामद होने से मामला और भी गंभीर हो गया।