मजदूरों, किसानों के बाद अब अध्यापकों की बारी। डीयू के 4500 प्रोफ़ेसरों ने अपनी आवाज़ उठाते हुए वीसी हाउस पर कब्ज़ा कर लिया।28 अगस्त को वीसी ने निजीकरण करने वाला आदेश जारी किया था। आदेश में सभी एडहॉक टीचर्स की नौकरी ख़त्म कर दी गई।10-10 सालों से पढ़ा रहे इन अध्यापकों की रोजी-रोटी खतरे में पड़ गई है।
दोबारा सत्तासीन होने के बाद मोदी सरकार ने वादा किया था कि छह महीने में परमानेंट भर्तियां कर दी जाएंगी।लेकिन उनका ये वादा भी और वादों की तरह कही खो गया।