फिरोज ख़ान ने बीएचयू, बनारस छोड़कर वापस अपने घर जयपुर जाने का फैसला ले लिया. ऐसे दौर में जबकि स्थायी नौकरी मिलनी, नई जिंदगी मिलने जैसी मुश्किल बात है, फिरोज के हौसले का टूटना एक तरह से सांकेतिक मौत ही है.मोदी सरकार की राष्ट्रवादी सोच ने देश को कट्टरता की आग में झोंक दिया हैं
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