जब भी मेरी तमाम विश्वविद्यालयों की खबरों पर नज़र पड़ती है तब हर बार BHU की कोई ना कोई खबर देखने को मिल ही जाती है। हर बार की तरह इस बार भी BHU में छात्र और प्रशासन आमने-सामने गए हैं। छात्रसंघ बहाली और अन्य मांगों को लेकर 24 सितंबर से छात्र प्रदर्शन कर रहे हैं। जिसमें कई छात्र भूख हड़ताल पर भी बैठे हैं। उनका कहना है कि विश्वविद्यालय में छात्रसंघ की बहाली छात्रों के प्रतिनिधित्व के लिए जरूरी है क्योंकि छात्र हितों की रक्षा छात्रसंघ से ही संभव है।
बीएचयू के छात्रों की कई माँगे है जिन पर प्रशासन ध्यान नहीं दे रहे हैं। जैसे कि विद्यार्थियों का कहना है कि जब तक सभी छात्र-छात्राओं को हॉस्टल मुहैया नहीं कराया जाता तब तक उन्हें डेलीगेसी भत्ता दिया जाए। लाइब्रेरी 24 घंटे खोली जाए। नई जरूरी पुस्तकें तत्काल मंगाई जाएं, साइबर लाइब्रेरी में सीटों की संख्या बढ़ाकर 1000 की जाए। साथ ही विकलांग छात्र-छात्राओं के लिए इक्वल आपार्चुनिटी सेल का गठन किया जाए।
इसलिए उनका कहना है कि छात्रसंघ बहुत जरूरी है जो उनकी सही माँगों को लेकर प्रशासन पर दबाव बना सकेगा। और जब तक उनकी नहीं सुनी जाएगी वह भूख हड़ताल पर रहेंगे। अब मेरा सवाल प्रशासन से यह है कि आखिर कब तक आप अपनी तानाशाही का उदाहरण पेश करते रहेंगे ?
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