मोदी जी अगर यह समझ रहे हैं कि देश आपके नेतृत्व में प्रगति की राह में है तो ज़रा ITO स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ़ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ़ इंडिया (ICAI) के कार्यालय पर अपनी नज़र घुमा के देख लीजियेगा जहाँ प्रश्न-पत्र की जाँच में हुई लापरवाही से त्रस्त छात्र और ICAI के ही कर्मचारी जिनको नौकरी से बर्खास्त कर गया अपनी मजबूरी और आक्रोश को एक साथ समेटे प्रदर्शन करते दिख जायेंगे।
55 कर्मचारी, जो दिल्ली में आईसीएआई के मुख्य कार्यालय में काम करते थे, उन्हें अगस्त के महीने में अवैध रूप से हटा दिया गया था। उनमें से ज़्यादातर पिछले नौ से दस सालों से आईसीएआई में काम कर रहे थे।प्रदर्शन कर रहे कर्मचारियों का कहना है कि उन्हें कोई भी नोटिस नहीं दिया गया और हद तो तब हो गई जब हटाए गए कर्मचारियों को प्रबंधन द्वारा केवल दो दिन पहले ही इसके बारे में सूचित किया गया।
इसके अलावा, लगभग 300 और आईसीएआई कर्मचारियों का भविष्य ख़तरे में दिख रहा हैं जिन्हें संस्थान ने काम का अंतिम दिन 30 नवंबर बताते हुए बर्खास्तगी का नोटिस थमा दिया है। ICAI की तानाशाही के आगे कर्मचारी सिर्फ बेबस और लाचार नज़र रहे हैं।आखिर कब तक वह अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करते रहेंगे और उनके परिवार के लोग दाल -रोटी को तरसते रहेंगे।
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