उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में बिजली की दरें महंगी हो गई हैं. शहरी और औद्योगिक से लेकर गांवों तक में बिजली दरों में इजाफा हुआ है. बिजली दरों में इस बढ़ोतरी पर प्रदेश में सियासत भी शुरू हो गई है. बसपा सुप्रीमो मायावती (BSP Supremo Mayawati) ने उत्तर प्रदेश बीजेपी सरकार (BJP Government) द्वारा बिजली की दरों में वृद्धि (Electricity Bill Hike) के फैसले पर नाराजगी जताते हुए इसे जनविरोधी बताया है. उन्होंने मांग की है कि सरकार को अपने इस फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए.
जम्मू कश्मीर के हर गांव से पांच लोगों को सरकारी नौकरीउधर, यूपी के ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने बसपा सुप्रीमो मायावती के ट्वीट पर जवाब देते हुए कहा कि यह सपा-बसपा के पाप रहे कि भ्रष्टाचार बढ़ता गया और बिजली कंपनियां भारी घाटे में चली गईं. सपा-बसपा के कार्यकाल में सिर्फ दरें बढ़ती थीं. भाजपा के कार्यकाल में दरें कम और बिजली आपूर्ति के घंटे ज्यादा बढ़े हैं. सरकार ने बढ़ती दरों से गरीब को मुक्त रखा है. पूर्व की सरकारों की आर्थिक अनियमितताओं के चलते मजबूरी के कारण कुछ श्रेणियों की बिजली दरों में आंशिक बढ़ोतरी करनी पड़ी है.
प्रदेश् के मंत्री ने कहा कि अब जिलों को 24, तहसील को 20 और गांव को 18 घंटे बिजली आपूर्ति की जा रही है. पूर्व सरकारों में कोई रोस्टर नहीं था. बिजली सिर्फ चहेते जिलों को ही नसीब होती थी. उन्होंने कहा कि वर्ष 2016-17 में पीक डिमांड 16,500 मेगावाट थी, जिसे पूर्व सरकार पूरा नहीं कर पा रही थी. अब 21,950 मेगावाट की डिमांड पूरी हो रही है. ग्रिड की क्षमता बढ़ाई जा रही है. 66,320 किलोमीटर की जर्जर लाइन बदलने पर तेजी से काम हो रहा है.