कश्मीर: 'राज्यपाल जो भी बोल रहे हैं वो झूठ है'

"राज्यपाल जिस नौकरी की बात कर रहे हैं, वो मुझे नहीं चाहिए. मैं मज़दूरी कर लूंगा लेकिन सरकारी नौकरी के प्रस्ताव को स्वीकार नहीं करूंगा.
बुधवार की प्रेस कॉफ़्रेंस में राज्यपाल ने कहा कि 50 हज़ार कश्मीरी युवाओं को नौकरियां दी जाएंगी.
कश्मीर में स्थिति लगातार बिगड़ रही है और सरकार ये सब कर रही है. ये सब सरकार की चाल है.
जहां तक मेरी जानकारी है, कोई भी कश्मीरी युवा नौकरी के प्रस्ताव को स्वीकार करने में दिलचस्पी नहीं ले रहा है.
हम नौकरी का कोई ऐसा प्रस्ताव स्वीकार भी नहीं करना चाहते जो अत्याचार के बदले में दिया जा रहा हो. हमारे यहां संचार के सभी साधनों को बंद करके रखा गया है और आप नौकरियों की बात कर रहे हैं.
राज्यपाल ने कहा है कि इंटरनेट का इस्तेमाल पाकिस्तान लोगों को भड़काने के लिए कर रहा है. लेकिन मैं आपसे कहना चाहता हूं कि हम न तो भारत को चाहते हैं और न ही पाकिस्तान को. हम आजादी चाहते हैं.
कश्मीर लगभग आज़ाद था, जब इसे हम लोगों से छीन लिया गया था.
कश्मीर को बलपूर्वक छीना गया और जबरन क़ब्ज़ा कर लिया गया. सुरक्षाबलों के जरिए अनुच्छेद-370 और 35-ए को खत्म किया गया. हम लोग इन अनुच्छेदों के लिए अपनी जान दे सकते हैं. हम सरकार के फैसले को लागू नहीं करने देंगे.''
ये कहना है कश्मीर के युवा मजदूर मोहम्मद आमीन का.
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जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने बुधवार को प्रेस कॉफ़्रेंस करके कई बातें कहीं. जैसे:
  • अब तक पुलिस कार्रवाई में किसी भी शख़्स की मौत नहीं हुई है जबकि 2008, 2010 और 2016 में कई लोगों की मौत हुई थी.
  • पाकिस्तान मोबाइल और इंटरनेट के जरिए लोगों को भड़काने का काम कर रहा है.
  • अस्पताल में दवाईयों की कोई कमी नहीं है और जरूरत की चीज़ें पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं.
  • आने वाले छह महीने में 50 हज़ार कश्मीरी युवाओं को नौकरियां दी जाएंगी.
  • 3,000 प्राइमरी स्कूल और 1,000 मिडिल स्कूल खोले जाएंगे.
  • नेशनल एग्रीकल्चर कॉपरेटिव मार्केटिंग फ़ेडरेशन ऑफ़ इंडिया (नेफ़ेड) की ओर से 5,000 करोड़ रुपये से जम्मू कश्मीर में सेवों की खरीददारी से सात लाख किसानों को लाभ मिलेगा.
  • कश्मीर के 111 पुलिस स्टेशनों में से अभी 81 पुलिस स्टेशन के इलाकों में दिन में ढील और राहत दी जा रही है.
  • नौकरियां देने से कश्मीर की समस्या हल नहीं होगी'
    कश्मीर घाटी के लोगों ने सत्यपाल मलिक के इन बयानों पर तीखी प्रतिक्रिया जताई है.
    पांच अगस्त, 2019 को भारत सरकार ने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया था.
    इतना ही नहीं सरकार ने राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों- जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांटने का फ़ैसला भी किया है. अनुच्छेद 370 की वजह से ही जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा हासिल था.
    एक अन्य कश्मीरी युवा ने नाम छिपाने की शर्त के साथ कहा कि अगर 50 हज़ार नौकरियां देने से ही समस्या का हल हो जाता तो ये समस्या अब तक क्यों होती?
    इस युवा ने कहा, "जब से यहां मुश्किलें शुरू हुई हैं तब से लाखों नौकरियों की घोषणाएं हो चुकी हैं. ऐसे में समस्या का हल तो हो चुका होता. आप आज की स्थिति देख रहे हैं, ऐसी स्थिति फिर नहीं आएगी. मेरा ख़्याल है कि अगर 50 लाख नौकरियां भी दी जाएं तो भी यह कोई हल नहीं होगा.
    50 हज़ार नौकरियां देने से कश्मीर की ज़मीनी स्थिति नहीं बदलने वाली है. सरकार आम लोगों के मूलभूत अधिकारों को छीनकर और नौकरियां देकर स्थिति को नियंत्रण में नहीं कर सकती.
  • 'सरकार की कोई घोषणा काम नहीं आएगी'
    कश्मीरी लोग बीते 30 वर्षों से संघर्ष कर रहे हैं. यह स्थिति ख़त्म होने का नाम क्यों नहीं ले रही है? मुझे नहीं लगता है कि राज्यपाल की घोषणाओं से ज़मीनी हालात में कोई भी बदलाव होगा."
    'मोबाइल और इंटरनेट के जरिए पाकिस्तान लोगों को भड़का रहा है' राज्यपाल के इस बयान पर इन्होंने कहा, "यह वास्तविकता नहीं है. राज्यपाल ने इस तनाव से पहले कहा था कि पाकिस्तान हमले की योजना बना रहा है इसलिए अमरनाथ यात्रियों को कश्मीर छोड़ने के लिए कहा जा रहा है. बाद में हमें पता चला है कि सरकार अनुच्छेद-370 को निरस्त करने की योजना बना चुकी थी. उनके सारे दावे झूठ पर आधारित हैं. वे जो चाहे जो भी घोषणा कर लें, कुछ भी काम नहीं आने वाला है. उन्हें कश्मीर के लोगों की आंकाक्षाओं को पूरा करना होगा."
    कश्मीर के इस आम युवा ने यह भी कहा, "एक भी स्कूल नहीं खुला है. ये घोषणाएं केवल अंतरराष्ट्रीय समुदाय की आंखों में धूल झोंकने के लिए की जा रही हैं. इनसे का कश्मीर की ज़मीनी हालात पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. हालात में सुधार के लिए उन्हें कश्मीरी लोगों से बात करनी होगी. कश्मीर में सब कुछ बंद है चाहे वह स्कूल हो, दुकानें हों या फिर दफ़्तर."
    सत्यपाल मलिक ने अब तक कश्मीर में एक भी मौत नहीं होने की बात भी कही थी.
  • 'सरकार की बात हम तक पहुंच ही नहीं रही'
    उनके इस बयान पर इस शख्स ने कहा, "यह सच्चाई है कि किसी की भी मौत नहीं हुई है लेकिन इसमें सरकार की कोई भूमिका नहीं है. कश्मीर के लोगों ने इस बार अपना मन बना लिया है कि लड़ाई लंबी चलने वाली है, कुछ दिनों में खत्म नहीं होगी. जब पाबंदियां हटेंगी तब विरोध प्रदर्शन होगा. सरकार तो मस्जिदें भी नहीं खोल रही हैं. वो लोग क्यों मस्जिद को खोलने नहीं दे रहे हैं? लोगों को सामूहिक नमाज पढ़ने की इजाज़त क्यों नहीं है? हर घर के बाहर सुरक्षा बल का जवान तैनात है. ऐसी स्थिति में विरोध प्रदर्शन कैसे हो पाएंगे?जब लोगों को अपने अपने घरों से बाहर आने की इजाज़त ही नहीं है तो मौतें कैसे होंगी? सरकार को लोगों को घरों से बाहर निकलने की इजाज़त देनी होगी तब देखेंगे कि स्थिति क्या होती है."
    कई लोगों ने बीबीसी को ये भी बताया कि सरकार क्या कह रही है, इसकी जानकारी उन तक नहीं पहुंच पाई है क्योंकि संचार का कोई माध्यम काम नहीं कर रहा है.
    श्रीनगर के एक दुकानदार एजाज अहमद का कहना था कि राज्यपाल या फिर दूसरे अधिकारी क्या कह रहे हैं इसके बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है.
    एजाज ने बताया, "हमारे घर में डिश टीवी लगा हुआ है लेकिन इंटरनेट और मोबाइल फोन बंद होने से हमारे पास उसे रिचार्ज कराने का विकल्प नहीं है. मैं अपना डिश टीवी का एकाउंट रिचार्ज नहीं करा पाया हूं. ऐसे में क्या हो रहा है या सरकार क्या कह रही है, उस पर कैसे प्रतिक्रिया दे दूं?"
  • 'हम मज़दूर हैं और यहीं मर रहे हैं'
    श्रीनगर के ही एक दूसरे दुकानदार फैयाज़ अहमद ने बताया, "हम लोग 1947 से देख रहे हैं. जब भी कोई नया मंत्री सरकार में आता है, वो हम लोगों को नौकरियां देने की बात करता है. हमारा तो सब कुछ बिखर गया है. उन्हें हमलोगों की परवाह नहीं है. यहां लोग भूख से मर रहे हैं. दवाइयां तक नहीं मिल रही हैं."
    फैयाज़ के बगल में बैठे एक आदमी ने ग़ुस्से से कहा, "मैं शुगर का मरीज हूं. हम जब भी केमिस्ट की दुकान पर जाते हैं, वो दवाइयों की कमी की शिकायत करता है. मुझे कभी पूरी दवाई नहीं मिली है. आप जाइए और राज्यपाल को यहां ले आइए और तब मैं उन्हें बताऊंगा कि पर्याप्त दवाइयां उपलब्ध हैं या नहीं? बीते 25 दिनों से एक ही जगह पर अटके हुए हैं. हमें अपनी खिड़कियां तक खोलने की इजाज़त नहीं है."
    पाकिस्तान इंटरनेट और मोबाइल फ़ोन के जरिए लोगों को भड़का रहा है, इस बयान के बारे में पूछे जाने पर इन्होंने कहा, "क्या हमारे लिए यह संभव है कि हम इंटरव्यू देने के लिए पाकिस्तान चले जाएं? इसमें भारत और पाकिस्तान को क्या करना है? हमलोग मजदूर हैं और यहां मर रहे हैं."
    राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने अपनी प्रेस कॉफ़्रेंस में यह भी कहा था कि कश्मीर की पहचान, संस्कृति और विरासत के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की जाएगी. उनके इस दावे पर शौक़त अहमद कहते हैं, "सरकार ने कश्मीर में भारी पैमाने पर सुरक्षाबलों को तैनात किया हुआ है. यह हम पर हमला है या नहीं?"
    80 साल के अली मोहम्मद राज्यपाल सत्यपाल मलिक के सभी दावों का खंडन करते हैं. उन्होंने कहा, "राज्यपाल जो भी बोल रहे हैं वो झूठ है."
    अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने के बाद से ही राज्य के सभी मुख्य राजनीतिक दलों के नेता गिरफ्तार हैं. 5 अगस्त, 2019 से ही कश्मीर में सब कुछ बंद पड़ा है. इंटरनेट और मोबाइल फोन की सेवाएं भी बंद हैं.

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