भाजपा की नजर सियासी बागवानी पर, मंत्रिमंडल विस्तार के सहारे एक साथ कई संदेशों पर काम

मंत्रिमंडल के सहारे भाजपा की तैयारी सिर्फ 2022 का चुनाव ही नहीं, बल्कि सियासी बागवानी की भी है। पार्टी ने इस अकेले काम के सहारे कई संदेश देने की कोशिश की है। सहयोगियों को भी संदेश दिया कि सियासी दोस्ती का मतलब दबाब और लेनदेन की राजनीति नहीं है, ऐसा करोगे तो कुछ नहीं मिलेगा। पार्टी के पास कार्यकर्ताओं की कमी नहीं है।कार्यकर्ताओं को भी यह संदेश दिया कि काम करने वालों को आगे बढ़ने के लिए परेशान होने की जरूरत नहीं है। ईमानदारी से संगठन के प्रति निष्ठा और समर्पण रहेगा तो इनाम जरूर मिलेगा।

करीब 28 माह के इंतजार के बाद योगी सरकार के पहले मंत्रिमंडल विस्तार में शामिल चेहरों और शपथ ग्रहण के बाद मुख्यमंत्री की तरफ से मंत्रियों को चाल और चरित्र  को लेकर दी गई नसीहतों से यह स्पष्ट भी हो गया है। यह बात भी साफ हो गई कि विस्तार से पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, मुख्यमंत्री और भाजपा नेतृत्व को मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने वाले चेहरों को लेकर लंबा क्यों मनन-मंथन करना पड़ा।
ये है वजह
भले ही पहले भाजपा का विस्तार इतना नहीं था, लेकिन पार्टी के पास प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में कई ऐसे प्रभावी चेहरे थे जिनकी नेतृत्व क्षमता पर सवाल नहीं उठाया जा सकता है। कई उम्र के उस पड़ाव पर पहुंच गए जहां उनकी पहले जैसी सक्रियता नहीं रही है। इसीलिए उसने इस विस्तार के जरिये भविष्य के सियासी क्षत्रप तैयार करने की नींव रखी गई।

इससे आने वाले दो-तीन वर्षो में पार्टी के पास अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग जातियों में ऐसे चेहरे तैयार हो जाएंगे जिनके सहारे भविष्य में भाजपा की सियासी बागवानी हरी-भरी बनी रहे और कहीं किसी इलाके में नेता और कार्यकर्ताओं का टोटा न रहे। इसीलिए पार्टी ने मंत्रिमंडल में शामिल होने वाले चेहरों में सुरेश राणा, डॉ. महेंद्र सिंह, भूपेंद्र चौधरी, अनिल राजभर, सतीश द्विवेदी, आनंदस्वरूप शुक्ल, अशोक कटारिया और नीलिमा कटियार जैसे कई चेहरों को भविष्य के लिए और ज्यादा प्रभावी बनाने की रणनीति बनाई गई है।

यह सही है कि रामनरेश अग्निहोत्री, चौधरी उदयभान और चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय जैसे कुछ चेहरे उम्रदराज हैं, लेकिन ऐसा लगता है कि पार्टी की रणनीति इन्हें मंत्री बनाकर इनके प्रभाव के जरिये संबंधित इलाकों के समीकरण ठीक कर युवा चेहरे तलाशने की है।

बहरीन से जेटली को याद कर बोले मोदी- गहरा दर्द दबाए बैठा हूं, आज मेरा अरुण चला गया
ये हैं उदाहरण
भाजपा के लिए बलिया और उसके आसपास का इलाका एक तरह से राजनीतिक बियावान जैसा रहा है। कई बार इस क्षेत्र की सीटों के लिए प्रभावी उम्मीदवार तलाशना  भाजपा के लिए बड़ी समस्या होती थी। पार्टी के रणनीतिकारों ने अब समय, संयोग और समीकरणों की अनुकूलता के मद्देनजर ही उपेंद्र तिवारी के बाद  आनंद स्वरूप शुक्ल को भी मंत्री बनाकर इस इलाके में भविष्य के लिए अपनी सियासी फसल तैयार करने की योजना बनाई है।

इसी तरह पश्चिम में चौधरी अजित सिंह और उनके बेटे जयंत चौधरी की पकड़ कमजोर करने में कामयाब रही भाजपा ने अब भूपेंद्र चौधरी के सहारे भविष्य की ओर कदम बढ़ाया है।

More videos

See All