चुनाव आयोग की जम्मू-कश्मीर परिसीमन प्रक्रिया पर बैठक, सीटें घटाने की योजना

चुनाव आयोग ने जम्मू और कश्मीर विधानसभा के परिसीमन के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा के लिए बैठक शुरू की है। जानकारी हो कि नए परिसीमन के तहत केंद्र शासित प्रदेश बनने वाले जम्मू-कश्मीर में अब विधानसभा की सीटों में एससी और एसटी को आरक्षण भी मिल सकेगा। हालांकि अब सीटों का आंकड़ा 111 की बजाय 107 करने की योजना है। अब तक इनमें से 24 सीटें पाक अधिकृत कश्मीर के लिए रिक्त रखी जाती थीं और अब भी यह सीटें खाली छोड़ी जाएंगी। ऐसी ही कई बातोंं को लेकर चुनाव आयोग ने जम्मू-कश्मीर परिसीमन प्रक्रिया पर चर्चा के लिए बैठक की है।
 जानकारी के अनुसार चुनाव आयोग पहले विधानसभा सीटों का परिसीमन करेगा और उसके बाद ही चुनाव की प्रक्रिया शुरू की जा सकेगी। जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन ऐक्ट, 2019 के मुताबिक सूबे में विधानसभा सीटों का परिसीमन जरूरी है। जम्मू-कश्मीर में परिसीमन से भाजपा की दशकों पुरानी मांग भी पूरी हो सकती है। भाजपा जम्मू में कुछ और सीटों की मांग करती रही है।
हालांकि जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनावों में अभी कुछ और महीनों का वक्त लग सकता है। इसकी वजह यह है कि चुनाव आयोग पहले विधानसभा सीटों का परिसीमन करेगा और उसके बाद ही चुनाव की प्रक्रिया शुरू की जा सकेगी। इसमें कम से कम 4 महीने का वक्त लग सकता है। जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन ऐक्ट, 2019 के मुताबिक सूबे में विधानसभा सीटों का परिसीमन जरूरी है। नए परिसीमन के तहत केंद्र शासित प्रदेश बनने वाले जम्मू-कश्मीर में अब विधानसभा की सीटों में एससी और एसटी को आरक्षण भी मिल सकेगा। हालांकि अब सीटों का आंकड़ा 111 की बजाय 107 करने की योजना है। अब तक इनमें से 24 सीटें पाक अधिकृत कश्मीर के लिए रिक्त रखी जाती थीं और अब भी यह सीटें खाली छोड़ी जाएंगी। इसका अर्थ यह है कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के लिए 83 विधानसभा सीटों पर चुनाव होगा।
क्‍या है परिसीमन का अर्थ
परिसीमन आयोग को भारतीय सीमा आयोग भी कहा जाता है। परिसीमन से तात्पर्य किसी भी राज्य की लोकसभा और विधानसभा क्षेत्रों की सीमाओं (राजनीतिक) का रेखांकन है। अर्थात इसके माध्यम से लोकसभा और विधानसभा क्षेत्रों की हदें तय की जाती हैं। संविधान के अनुच्छेद 82 के मुताबिक, सरकार हर 10 साल बाद परिसीमन आयोग का गठन कर सकती है। इसके तहत जनसंख्या के आधार पर विभिन्न विधानसभा व लोकसभा क्षेत्रों का निर्धारण होता है। जनसंख्या के हिसाब से अनुसूचित जाति-जनजाति सीटों की संख्या बदल जाती है।
परिसीमन का उद्देश्य
परिसीमन का उद्देश्य ताजा जनगणना के आधार पर सभी लोकसभा और विधानसभा सीटों की दोबारा सीमाएं निर्धारित करना है। हालांकि अब नई जनगणना 2021 में होगी। सीमाएं पुनर्निर्धारण में जनप्रतिनिधियों (सीटों) की संख्या यथावत रहती है अर्थात इनमें किसी तरह का परिवर्तन नहीं होता। अनुसूचित जाति और जनजाति की विधानसभा सीटों का निर्धारण क्षेत्र की जनगणना के अनुसार होता है। 
चुनाव आयोग ने अभी औपचारिक तौर पर सीटों के परिसीमन को लेकर सरकार से कोई बातचीत नहीं की है। हालांकि सूत्रों का कहना है कि राज्य के मुख्य निर्वाचन आयुक्त जल्दी ही चुनाव आयोग से राज्य को लेकर पारित विधेयकों और परिसीमन के प्रस्ताव की जानकारी साझा करेंगे। माना जा रहा है कि केंद्र सरकार अक्टूबर-नवंबर में चुनाव कराने के पक्ष में नहीं है। जम्मू-कश्मीर की सुरक्ष व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए कुछ देरी हो सकती है। 
 

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