इस 'जंग' की आग नहीं हो रही शांत, तबाह होने के कगार पर बड़ा राजनीतिक परिवार

हरियाणा में अलग-अलग पार्टियों के नाम से छह बार सत्ता में रहने वाले ताऊ देवीलाल के परिवार की जंग लगातार बढ़ रही है। चौटाला परिवार में जंग की आग शांत नहीं होने से हरियाणा का यह बड़ा राजनीतिक परिवार तबाही के कगार पर पहुंच गया है। भतीजे दुष्यंत चौटाला और चाचा अभय सिंह चौटाला के विवाद ने इनेलो के राजनीतिक अस्तित्व पर बड़ा संकट खड़ा कर दिया है। हालात ऐसे हो गए हैं कि न तो चाचा झुकने को तैयार हैं और भतीजा रुकने को राजी है। ताऊ देवीलाल और ओमप्रकाश चौटाला की पार्टियों ने हरियाणा में कभी जनता पार्टी, जनता दल, समाजवादी जनता पार्टी तो कभी इनेलो के झंडे तले राज चलाया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लहर के बावजूद पिछले विधानसभा चुनाव में इनेलो के 19 विधायक चुनकर आए थे। अभय चौटाला व दुष्यंत चौटाला के आपसी झगड़े तथा भाजपा के बढ़ते प्रभाव का असर है कि अब इनेलो विधायक दल के नेता अभय सिंह चौटाला के साथ उनके समेत मात्र तीन विधायक रह गए हैं। जिन चार विधायकों नैना सिंह चौटाला, पिरथी नंबरदार, राजदीप फौगाट और अनूप सिंह धानक ने दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी को समर्थन दे रखा है। अब इन चारों विधायकों ने अभय सिंह चौटाला का तख्ता पलट करने में देर नहीं लगाई।
राजनीति का ऊंट कब किस करवट बैठ जाए, इसका अंदाजा लगाना नामुमकिन है। यह कहावत इनेलो पर पूरी तरह से खरी उतर रही है। ताऊ देवीलाल के गोहाना में हुए जयंती समारोह के दौरान चाचा अभय सिंह चौटाला और भतीजे दुष्यंत चौटाला में राजनीतिक तकरार की नींव पड़ी थी। इससे पहले हालांकि कई बार मनमुटाव की खबरें छनकर बाहर आई। लेकिन, इनेलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला की मौजूदगी में गोहाना रैली में जिस तरह से हुल्लड़बाजी हुई, उसका दोषी दुष्यंत और उनके भाई दिग्विजय चौटाला को मानते हुए पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। इसके बाद पैदा हुई जननायक जनता पार्टी।
लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद पार्टी के कुछ नेताओं ने चाचा भतीजे की गलफहमियां दूर करने की काफी कोशिश की, लेकिन उन्हें इस काम में सफलता नहीं मिल पाई। यह अलग बात है कि अभय चौटाला अभी भी किसी तरह का मनमुटाव नहीं होने का दावा करते हुए मीडिया को उनके पारिवारिक झगड़े में न पडऩे की सलाह देते हैं, लेकिन दुष्यंत पीछे मुड़ने को तैयार नहीं हैं।
अभय चौटाला के साथ अब वेद नारंग और ओमप्रकाश बड़़वा दो विधायक बचे हैं। इनमें वेद नारंग के भी देर सबेर भाजपा में जाने की चर्चाएं चल रही हैं। यह राजनीतिक जंग का ही नतीजा है कि दुष्यंत चौटाला ने अभय के साथ कम विधायक होने की दलील देते हुए राजदीप फौगाट को इनेलो विधायक दल का नेता बना दिया।
तकनीकी तौर पर नैना चौटाला, राजदीप फौगाट, अनूप धानक और पिरथी नंबरदार इनेलो के ही विधायक हैं, क्योंकि न तो उन्होंने इनेलो छोड़ी और न ही जेजेपी ज्वाइन की है। इन चारों विधायकों ने जेजेपी को अपना समर्थन दे रखा है। उनकी विधानसभा से सदस्यता रद कराने के लिए अभय सिंह चौटाला ने स्पीकर के पास याचिका दायर कर रखी है, जिस पर 13 अगस्त को फैसला आना है। स्पीकर कंवरपाल गुर्जर का कहना है कि उन्हें इनेलो विधायक दल का नेता बदले जाने संबंधी परपित्र मिला है, लेकिन अभय सिंह चौटाला ने चार विधायकों के खिलाफ दलबदल कानून के तहत कार्रवाई के लिए जो पत्र दे रखा है, उस पर पैरलर सुनवाई चलेगी। ऐसे में माना जा रहा कि चाचा भतीजे की यह जंग यहीं खत्म नहीं होने वाली है।

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