उत्तराखंड की क्षेत्र और जिला पंचायतें प्रशासकों के हवाले करने की अधिसूचना जारी

 हरिद्वार को छोड़कर बाकी जिलों में ग्राम पंचायतें पहले ही प्रशासकों के हवाले हैं और अब क्षेत्र व जिला पंचायतों में भी प्रशासक बैठाने की अधिसूचना जारी कर दी गई है। क्षेत्र पंचायतों का कार्यकाल नौ अगस्त और जिला पंचायतों का 12 अगस्त को खत्म हो रहा है। 
कार्यकाल पूर्ण होने से पहले चुनाव न हो पाने के मद्देनजर शासन ने इन्हें प्रशासकों के हवाले करने का निर्णय लिया है। उधर, त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए आरक्षण निर्धारण के कार्यक्रम को अंतिम रूप दिया जा रहा है। प्रदेश में हरिद्वार को छोड़ शेष 12 जिलों में ग्राम पंचायतों का पांच साल का कार्यकाल प्रथम बैठक की तिथि के क्रम में 14 व 15 जुलाई को खत्म हो गया था। 
ग्राम पंचायतों में प्रशासक पहले ही नियुक्त कर दिए गए थे। अब जबकि क्षेत्र व जिला पंचायतों का कार्यकाल क्रमश: नौ व 12 अगस्त को खत्म होने जा रहा है तो इन्हें भी प्रशासकों के हवाले किया जा रहा है। नियमानुसार त्रिस्तरीय पंचायतों का कार्यकाल खत्म होने से पहले चुनाव कराने का प्रावधान है, मगर इस मर्तबा ऐसा नहीं हो पाया। 
पंचायतीराज सचिव डॉ. रंजीत कुमार सिन्हा की ओर से जारी अधिसूचना के अनुसार नौ अगस्त से क्षेत्र पंचायतों और 12 अगस्त से जिला पंचायतों में प्रशासक कार्यभार संभाल लेंगे। क्षेत्र पंचायतों में उपजिलाधिकारी और जिला पंचायत में जिलाधिकारी बतौर प्रशासक कार्यभार संभालेंगे। 
हाईकोर्ट के निर्णय के आलोक में प्रशासकों को निर्देश दिए गए हैं कि वे क्षेत्र व जिला पंचायतों में केवल सामान्य रुटीन के कार्यां का ही निर्वह्न करेंगे। वे किसी प्रकार का नीतिगत निर्णय नहीं लेंगे। 
चुनाव की तैयारियों में जुटी सरकार सरकार त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए कवायद में जुटी है। चुनाव अक्टूबर आखिर से नवंबर के पहले पखवाड़े में प्रस्तावित हैं। इस क्रम में जिलाधिकारियों को त्रिस्तरीय पंचायतों में आरक्षण निर्धारण के लिए तैयारियां पूरी रखने के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही शासन स्तर पर आरक्षण का कार्यक्रम निर्धारित करने को लेकर मशक्कत चल रही है।
जिन 12 जिलों में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव होने हैं, उनमें ग्राम पंचायतों में प्रधान के 7491 और सदस्य के 55508 पद हैं। इसी प्रकार क्षेत्र पंचायत सदस्यों के 2988 और जिला पंचायत सदस्यों के 357 पद हैं। क्षेत्र व जिला पंचायतों में मुखिया का चुनाव एकल संक्रमणीय पद्धति से सदस्य करते हैं, जबकि ग्राम पंचायत में प्रधान व सदस्यों का चुनाव प्रत्यक्ष होता है। अलबत्ता, ग्राम पंचायत सदस्य उपप्रधान का चुनाव करते हैं।

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