370 पर दांव: तीन राज्यों में BJP को डायरेक्ट ट्रांसफर हो सकते हैं वोट

जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को असरहीन और राज्य को 2 हिस्सों में बांटने के फैसला करके नरेंद्र मोदी सरकार ने विपक्षी दलों को बैकफुट पर ढकेल दिया है. मोदी के इस मास्टर स्ट्रोक से हरियाणा, झारखंड और महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को जबरदस्त सियासी फायदा मिलने की संभावना दिख रही है. माना जा रहा है कि आगमी इन तीनों राज्यों में होने वाले चुनाव में बीजेपी इस मुद्दे को अपनी सबसे बड़ी उपलब्धि के तौर पर पेश करेगी.
हरियाणा, झारखंड और महाराष्ट्र में अक्टूबर में विधानसभा चुनाव होने हैं. आम चुनाव की जीत से उत्साहित बीजेपी ने हरियाणा में मिशन-75, झारखंड में टारगेट-65 और महाराष्ट्र में 220 प्लस सीटें जीतने का लक्ष्य पहले से तय कर रखा है. ऐसे में तीन राज्यों के चुनाव से पहले बीजेपी ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को असरहीन करके बड़ा दांव चला है.  
बता दें कि लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने एयर स्ट्राइक और राष्ट्रवाद के मुद्दे को दमदार तरीके से उठाया था. इसका बीजेपी को जबरदस्त सियासी फायदा मिला. इसका नतीजा था कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली बीजेपी को 2014 से ज्यादा 2019 में बड़ी जीत मिली. ऐसे में साफ है कि आगामी तीन राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव में धारा 370 को खत्म करने के फैसले को बीजेपी एक मजबूत हथियार के तौर पर इस्तेमाल कर सकती है, क्योंकि पार्टी शुरू से ही इस खत्म करने का संकल्प ले रखा था.
हरियाणा की सियासत को करीब से देखने वाले आनंद राणा कहते हैं कि हरियाणा के हर गांव और तकरीबन हर परिवार से कोई न कोई सेना या पुलिस के साथ जुड़ा हुआ है. देश के लिए सबसे ज्यादा शहीद होने वाले फौजी हरियाणा से हैं. ऐसे में मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने के फैसले से बीजेपी को हरियाणा में सियासी फायदा मिलने की उम्मीद है.
राणा कहते हैं कि हरियाणा में धार्मिक रुझान बहुत ज्यादा रहा है. यही वजह रही है कि राम मंदिर और मंडल आंदोलन ने भी प्रदेश की सियासत को प्रभावित नहीं कर सकी. हरियाणा के लोग भवनात्मक रूप से राष्ट्रवाद से जुड़े हुए हैं, ऐसे में जम्मू-कश्मीर से धारा 370 को खत्म करने और राज्य को 2 हिस्सों में बांटने का फैसला कर बीजेपी ने प्रदेश में अपने सियासी ग्राफ को और भी बढ़ा लिया है.
यही वजह है कि हरियाणा के कांग्रेस के नेता दीपेंद्र हुड्डा पार्टी लाइन से हटकर 370 असरहीन करने के फैसले का स्वागत कर रहे हैं. हुड्डा ने ट्वीट करते लिखा है, 'मेरी व्यतिगत राय रही है कि 21वीं सदी में अनुच्छेद 370 का औचित्य नहीं है और इसको हटना चाहिए. ऐसा सिर्फ देश की अखंडता के लिए ही नहीं, बल्कि जम्मू-कश्मीर जो हमारे देश का अभिन्न अंग है, के हित में भी है. अब सरकार की यह जिम्मेदारी है की इसका क्रियान्वयन शांति व विश्वास के वातावरण में हो.'
आनंद राणा कहते कि दीपेंद्र हुड्डा हरियाणा की सियासत को बाखूबी समझते हैं, इसीलिए धारा 370 के हटाने का समर्थन कर रहे हैं. हुड्डा अगर विरोध करेंगे तो जो राजनीतिक आधार बचा हुआ है, वो भी खत्म हो जाएगी. इसीलिए समर्थन करना उनकी मजबूरी है.
हरियाणा की तरह ही महाराष्ट्र और झारखंड की मिट्टी में राष्ट्रवाद से लोगों का भवनात्मक जुड़ाव है. महाराष्ट्र में बीजेपी की सहयोगी शिवसेना का राजनीतिक आधार हिंदुत्व और राष्ट्रवाद के इर्द-गिर्द रहा है. ऐसे में कश्मीर से धारा 370 को हटाने और जम्मू-कश्मीर को 2 राज्यों में बांटने के निर्णय को बीजेपी के साथ-साथ शिवसेना भी आगामी विधानसभा चुनाव में उठा सकती है.
महाराष्ट्र और झारखंड में कांग्रेस पहले से ही गुटबाजी से जूझ रही है. महाराष्ट्र में कांग्रेस और उसके सहयोगी एनसीपी के विधायक अपना राजनीतिक वजूद बचाने के लिए बीजेपी और शिवसेना का दामन थाम रहे हैं. वहीं, झारखंड में कांग्रेस के नेता बीजेपी से लड़ने के बजाय आपस में सिर-फुटव्वल करने में जुटे हैं. विपक्ष पूरी तरह से बिखरा हुआ है. इन सबके बीच जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने के फैसला करके काफी बढ़त बना ली है.

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