पूर्व सैन्‍य अधिकारी बोले, राजनीतिक दखल कम होने से जम्मू-कश्मीर में आतंक का होगा सफाया

सैन्य मामलों के जानकार केंद्र सरकार के इस कदम को ऐतिहासिक व साहसिक बता रहे हैं। उनका कहना है कि इस निर्णय को बहुत पहले ही हो जाना चाहिए था। फिर भी देर आए दुरस्त आए की तर्ज पर भाजपा सरकार ने मजबूत इच्छाशक्ति दिखाई। इस फैसले के बाद न सिर्फ जम्मू-कश्मीर में अमन व शांति आएगी और आतंकवाद का खात्मा होगा, बल्कि पाक समर्थित अलगाववादियों पर भी शिकंजा कसेगा। जम्मू-कश्मीर व लद्दाख को अलग-अलग कर यहां विकास भी होगा। फख्र इस बात का भी है अब एक देश में एक कानून व एक झंडा लहराएगा।
ले. जनरल ओपी कौशिक (सेवानिवृत्त) का कहना है कि अनुच्छेद 370 हटने से आतंकवाद के नासूर की अब स्थायी सर्जरी हो पाएगी। अभी तक आतंकियों को जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक संरक्षण मिलता रहा है। घाटी में बड़े पैमाने पर अलगाववादी और दूसरे संगठन आतंकियों की मदद करते हैं। वे  छोटी-छोटी बात पर लोगों को उकसाते हैं। नतीजतन हालात बिगड़ते हैं और भारतीय सेना के खिलाफ आज 1365 एफआइआर दर्ज हैं। ये परिस्थितियां ही बाधक बनती हैं। अब राजनीतिक दखल कम होगा तो आतंक का सफाया करने में आसानी होगी। जम्मू-कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश बनने से वहां आंतरिक कानून व्यवस्था भी सुधरेगी। एक पहलू और भी है। लद्दाख अब तक बिल्कुल उपेक्षित रहा है। जम्मू-कश्मीर से अलग होने के बाद अब उसका विकास होगा। ये सामरिक लिहाज से भी फायदेमंद है।
 

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