चुनाव सुधार पर निर्वाचन आयोग ने केंद्र सरकार को लिखी चिट्ठी, दिए ये सुझाव

निर्वाचन आयोग की मंशा है कि अब दो जगह से चुनाव जीतने वाले नेता खाली की गई सीट के उपचुनाव का सारा खर्चा भरें. आयोग चाहता है कि इस बाबत सरकार चुनाव सुधार को लेकर कानून में संशोधन करे. चुनाव सुधार से संबंधित ऐसे ही कुछ सुझाव आयोग ने केंद्र सरकार को भेजे हैं. केंद्रीय विधि और न्याय मंत्री को भेजे पत्र में मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुनील अरोड़ा ने पेड न्यूज और पार्टियों को मिलने वाले चंदे के पाई-पाई का हिसाब भी आयोग को देने के प्रावधान बनाने का आग्रह किया है.
मौजूदा नियमों के मुताबिक, राजनीतिक पार्टियों पर 20 हजार या इससे ज्यादा का चंदा मिलने के बाद ही उसका हिसाब देने की पाबंदी है. पार्टियां 20 हजार से कम का चंदा मिलने पर उसका स्रोत नहीं बताती और इसके लिए उन पर कोई पाबंदी भी नहीं है.
विधि और न्याय मंत्रालय को हाल ही में मिली निर्वाचन आयोग की चिट्ठी के मुताबिक, अगर सरकार को लगता है कि किसी उम्मीदवार को दो जगह से चुनाव लड़ने से रोकना उचित नहीं है, तो ये प्रावधान तो किया ही जा सकता है कि अगर वो दोनों जगह से जीत हासिल कर एक सीट खाली करे तो ऐसी स्थिति में खाली की गई सीट पर होने वाले उपचुनाव का सारा खर्च उसे भरना होगा, जिसने एक सीट पर जीत कर दूसरी सीट खाली की है.
इस प्रावधान के अलावा आयोग ये भी चाहता है कि सरकार आयोग को आचार संहिता और अनुशासन का गंभीर व बार-बार उल्लंघन करने वाले राजनीतिक दल की मान्यता और रजिस्ट्रेशन रद्द करने या कुछ समय के लिए निलंबित करने का अधिकार दे. अभी आयोग के पास राजनीतिक दलों के रजिस्ट्रेशन का अधिकार तो है लेकिन रजिस्ट्रेशन रद्द करने का नहीं है. ऐसे में एक बार रजिस्टर्ड होने के बाद राजनीतिक दलों के मन में आयोग के प्रति डर खत्म हो जाता है.
आयोग के साथ केंद्रीय विधि सचिव की इसी साल जनवरी में बैठक हुई थी. बैठक के हवाले से चिट्ठी में ये भी कहा गया है कि चुनाव सुधार के लिए आयोग के साथ ही विधि आयोग ने भी वर्षों से सिफारिश और सुझाव दे रखे हैं. सरकार अब विधिक प्रावधान के लिए इन्हें संसद से मंजूरी दिलाए.
आयोग ने सरकार से ये भी कहा है कि चुनावों में सभी उम्मीदवारों को बराबर अवसर उपलब्ध कराने की गरज से पेड न्यूज पर लगाम लगाना जरूरी है. ऐसे में सरकार आयोग को ये अधिकार दे कि पेड न्यूज से संबंधित लोगों और संस्थान के साथ ही लेनदेन की रकम का भी सार्वजनिक खुलासा किया जा सके. इसके लिए पेड न्यूज को भ्रष्ट आचरण के दर्जे में शामिल करना जरूरी है.
आयोग ने नए युवा मतदाताओं की हिमायत में भी कुछ सुझाव सरकार को दिए हैं. आयोग ने लिखा है कि अब नए मतदाताओं को मतदता सूची में नाम दर्ज कराने के लिए साल में एक के बजाय चार मौके मिलने चाहिए. यानी अब 1 जनवरी, 1 अप्रैल, 1 जुलाई और 1 अक्टूबर के बीच भी नए मतदाताओं के नाम लिस्ट में जोड़ा जाए.
अभी के नियम के मुताबिक, 1 जनवरी तक 18 साल की उम्र पूरी करने वाले का नाम ही उस साल की मतदाता सूची में शामिल किया जाता है. कोई 2 जनवरी को 18 साल का हो तो उसे अगले साल तक इंतजार करना होगा, लेकिन अगर चार मौके होंगे तो ऐसे मतदाता साल भर में होने वाले चुनाव में भी मतदान कर सकेंगे. यानी आयोग ने सरकार को उन सभी सिफारिशों पर ध्यान देकर चुनाव सुधार की दिशा में आगे बढ़ने की गुजारिश की है.

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