सीमा के दोनों तरफ ताबड़तोड़ बैठकें, मोदी सरकार कश्मीर समस्या सुलझाने के करीब!

जम्मू-कश्मीर की मौजूदा हालात पर बैठकों का दौर लगातार जारी है. बैठकों का यह दौर सीमा के इस पार भी और सीमा के उस पार भी चल रहा है. रविवार को भारत में जहां गृह मंत्री अमित शाह ने कश्मीर की ताजा हालात का जायजा लिया है तो वहीं पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने भी अपने एनएसए और सेना के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक बैठक की है. दोनों तरफ मीटिंग का टाइमिंग लगभग एक ही समय था. वहीं बॉर्डर रोड आर्गेनाइजेशन द्वारा बनाए गए एक पुल का उद्घाटन करने पहुंचे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी कहा कि कश्मीर की समस्या तो अब हल होकर रहेगी.
जम्मू-कश्मीर को लेकर मंथन का दौर
ऐसे में माना जा रहा है कि कश्मीर को लेकर दोनों देशों के बीच तकरार चरम पर पहुंच गया है! पाकिस्तानी सेना का कहना है कि भारत की तरफ से कलस्टर बमों का प्रयोग हो रहा है, जिससे स्थिति भयावह हो गई है. पाकिस्तानी पीएम ने इसी मुद्दे पर मीटिंग बुलाई थी. वहीं भारत के गृह मंत्री अमित शाह के साथ बैठक में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, गृह सचिव राजीव गावा, आईबी चीफ अरविंद कुमार और रॉ चीफ सामंत कुमार गोयल ने भाग लिया.
सूत्र बता रहे हैं कि गृह मंत्री अमित शाह ने भी कश्मीर के ताजा हालात का जायजा लिया है. इस बीच यह भी खबर आ रही है कि गृह मंत्री अमित शाह अगले हफ्ते कश्मीर के दौरे पर जा सकते हैं. सूत्रों के मुताबिक, अमित शाह संसद सत्र खत्म होने के बाद दो से तीन दिनों के लिए घाटी के दौरे पर जा सकते हैं. शाह अपने इस दौरे के दौरान जम्मू भी जाएंगे.

आर्टिकल 35A और 370 को लेकर है विवाद
बता दें कि बीते शुक्रवार को ही केंद्र सरकार ने एडवाइजरी जारी कर अमरनाथ यात्रियों और पर्यटकों को अपनी यात्रा रोक वापस आने की सलाह दी थी. अमरनाथ यात्रियों के बेस कैंप से भी यात्रियों को जाने के लिए कह दिया गया है. इन यात्रियों के पास बेस कैंप छोड़ने के अलावा अब कोई विकल्प भी नहीं बचा है.
यात्रियों वो वापस बुलाने वाली सरकार की घोषणा से जम्मू-कश्मीर के राजनेताओं में भी खलबली मच गई है, उनके द्वारा आशंकाएं जताई जा रही हैं कि केंद्र संविधान के अनुच्छेद 35-ए के योजना कर रहा है. अनुच्छेद 35-ए सरकारी नौकरियों और जमीन के मामलों में राज्य के निवासियों को विशेष अधिकार देता है. राज्यपाल सतपाल मलिक ने अटकलों पर लगाम लगाते हुए कहा कि अनुच्छेद 35-ए को समाप्त करने की कोई योजना नहीं है. इस बीच, जम्मू और कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने मांग की कि सरकार को राज्य के विशेष दर्जे पर संसद में एक बयान जारी करना चाहिए.
जम्मू-कश्मीर की स्थिति को लेकर शनिवार को कांग्रेस पार्टी के कई दिग्गज एक साथ मीडिया से मुखातिब हुए. कांग्रेस पार्टी के इन दिग्गजों ने एक साथ जम्मू-कश्मीर की हालात को लेकर चिंता जताई. जम्मू-कश्मीर की मौजूदा हालात पर बुलाए गए इस मीडिया ब्रीफिंग में जम्मू-कश्मीर के पूर्व सदरे रियासत डॉ कर्ण सिंह, राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद, देश के पूर्व गृह और वित्त मंत्री पी चदंबरम, जम्मू-कश्मीर कांग्रेस के प्रभारी अंबिका सोनी और राज्यसभा सांसद आनंद शर्मा ने जम्मू-कश्मीर की स्थिति को लेकर केंद्र सरकार से स्थिति स्पष्ट करने को कहा.
कांग्रेस ने शनिवार को केंद्र की घोषणा की आलोचना की, कहा कि इससे नागरिकों के बीच भय का वातावरण स्थपित होता है. वरिष्ठ कांग्रेस नेता गुलाम नबी आज़ाद ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, 'गृह मंत्रालय के आदेश से नागरिकों में डर का माहौल है. पर्यटकों और तीर्थयात्रियों को कभी भी इस तरह से अचानक यात्रा छोड़ने के लिए नहीं कहा गया. सरकार नफरत का माहौल बनाने की कोशिश कर रही है, ये कहते हुए कि कश्मीर बाहरी लोगों के लिए असुरक्षित है. हम सरकार द्वारा इस फैसले की निंदा करते हैं."

जम्मू-कश्मीर के पूर्व सदरे रियासत की क्या है मांग
जम्मू-कश्मीर के पूर्व सदरे रियासत और कांग्रेस पार्टी के दिग्गज नेता कर्ण सिंह ने कहा, 'हमने 70 सालों में बहुत उतार-चढ़ाव देखें हैं, लेकिन इन दिनों जम्मू-कश्मीर की हालात को लेकर ज्यादा चिंतित हैं. इस समय राज्य की जो हालात है वैसा कभी नहीं देखा. अमरनाथ यात्रा बंद कर दी गई. शिवभक्तों को धक्का लगा होगा. इसका कारण समझ नहीं आ रहा है.
अमरनाथ जी की गुफा तक छड़ी जाती है, क्या उसपर भी रोक लगा दी गई है? अगर स्नाइपर और माइंस पकड़े गए हैं तो उसके आधार पर ये कार्रवाई समझ में नहीं आती! पर्यटकों और छात्रों को हटाया जा रहा है जबकि वहां स्थिति सामान्य है. कश्मीर घाटी में डर और आशंका का माहौल है. क्या होने वाला है? इतनी दहशत क्यों फैलाई जा रही है?

बॉर्डर रोड आर्गेनाइजेशन द्वारा बनाए गए एक पुल का उद्घाटन करने पहुंचे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी कहा था कि कश्मीर की समस्या तो अब हल होकर रहेगी. भारत इसे अपने तरीके से हल करेगा. दुनिया की कोई भी ताकत हमें ऐसा करने से रोक नहीं सकती. ऐसा लग रहा है कि केंद्र सरकार इस बार कश्मीर में आतंकवाद की समस्या को जड़ से खत्म करने का मन बना चुकी है, जिसके तहत सरकार ने एक खास रणनीति बनाई है, लेकिन सुरक्षा वजहों से उसका खुलासा नहीं किया गया है.

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