राजीव गांधी एजुकेशन सिटी को विकसित करने में दिखी उदासीनता

सोनीपत जिले की राई विधानसभा सीट चुनाव के समय में भी बेहद चर्चित रही थी और इसके बाद भी। चूंकि यहां से कांग्रेस के उम्मीदवार जयतीर्थ दहिया ने मात्र तीन वोट से जीत दर्ज की थी। जीत के बाद राई विधानसभा इसलिए चर्चित रहा कि कांग्रेस के अंदर चल रही उठापटक से लेकर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने में जयतीर्थ दहिया अग्रणी भूमिका में रहे। इसकी वजह से वह पूरे पांच साल सुर्खियों में रहे। हाल ही में उन्होंने समय पूरा होने से पहले ही इस्तीफा देकर एक बार फिर से बम फोड़ा।
जहां तक राई इलाके में विकास और विधायक के कामकाज की समीक्षा का मुद्दा है, यहां केंद्रीय प्रोजेक्ट खूब आए और इनमें से कई पर काम पूरा भी हो चुका है। राई के विकास की एक वजह यह भी कि दिल्ली के आसपास के बाकी इलाकों की बजाय, सोनीपत के राई में विकास और काम के लिए अभी काफी गुंजाइश बची है। ऐसे में कंपनियों से लेकर केंद्र सरकार तक की नजर यहां रहती है। अगर राई हलके में बुनियादी जरूरतों को छोड़ दें, तो बड़े स्तर के कई प्रोजेक्ट यहां आए हैं। लेकिन इसके बाद भी राजीव गांधी एजुकेशन सिटी को विकसित करने में दिखी उदासीनता और बदहाल स्टेट हाईवे जैसे, कितने ही मुद‌्दे हैं, जो आज भी ज्यों के त्यों हैं। इन पर काम नहीं हो पाया। विधायक का दावा है कि वह सड़क से लेकर सदन तक आवाज उठाते रहे, लेकिन उनके साथ सौतेला व्यवहार किया गया।
ये बड़े प्रोजेक्ट आए
राई विधानसभा इलाके में सबसे बड़ा प्रोजेक्ट केएमपी-केजीपी है। हालांकि यह केंद्र का ड्रीम प्रोजेक्ट था, लेकिन भाजपा सरकार इसे अपनी उपलब्धि बता रही है। बवाना वाया नरेला के रास्ते कुंडली तक मैट्रो की डीपीआर तैयार हो चुकी है। हाईवे को 12 लेन करने का काम चल रहा है। मोतीलाल नेहरू खेलकूद स्कूल को यूनिवर्सिटी बनाया गया है, पंडित लख्मीचंद के नाम पर सांस्कृतिक यूनिवर्सिटी की नींव राई में रखी गई। खारी बावली की मसाला मंडी का प्रोजेक्ट भी यहां पर शिफ्ट हो रहा है।
नहीं कराया बुनियादी विकास : जयतीर्थ
विधानसभा से इस्तीफा दे चुके राई के विधायक रहे जयतीर्थ दहिया का कहना है कि उनके विपक्षी दल से होने के कारण सरकार ने राई के विकास पर ध्यान नहीं दिया। राजीव गांधी एजुकेशन सिटी का विकास नहीं हुआ। जो कुछ कांग्रेस के समय में प्रोजेक्ट आए थे, वही लटके रहे। नया कुछ करना तो दूर की बात है। बीसवां मील से बहादुरगढ़ स्टेट हाईवे को अगर देख लिया जाए, तो विकास की सच्ची तस्वीर सामने आ सकती है। अचरज की बात यह है कि इस बदहाल स्टेट हाइवे पर भी सरकार लोगों से टोल टैक्स वसूलती है।

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