भारतीय वन कानून-1927 में प्रस्तावित संशोधन के विरोध जेएमएम का धरना

भारतीय वन कानून- 1927 में प्रस्तावित संशोधन के विरोध और वन अधिकार कानून- 2006 को पूर्ण रूप से लागू करने की मांग को लेकर झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) ने सूबेभर में धरना दिया. रांची में राजभवन के समक्ष धरने में कार्यकारी अध्यक्ष हेमन्त सोरेन के अलावा पार्टी के सभी विधायक, संगठन के नेता और हजारों की संख्या में वनवासी शामिल हुए. इस दौरान राज्यपाल को ज्ञापन सौंपकर इस मसले पर राष्ट्रपति से हस्तक्षेप की मांग की गई

जेएमएम के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन ने कहा कि इस मसले पर 24 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होने वाली है. केन्द्र और राज्य सरकार ने अब तक इस मामले में ठीक से पक्ष नहीं रखा है. ऐसे में इस कानून के बदलने से झारखंड की लगभग आधी आबादी प्रभावित होगी. आदिवासियों के हितों को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार को इस मसले पर पक्ष रखना चाहिए.

पूर्व सीएम ने कहा कि इसके पीछे बहुत बड़ी साजिश है. भू-माफिया और खनन माफिया अपने रसूख की बदौलत ऐसा कानून बनवाना चाहते हैं, जिससे जंगल और खनन क्षेत्र का दोहन हो सके.

जेएमएम नेता ने राज्य सरकार पर जंगल और खनन क्षेत्र की बर्बादी का आरोप लगाया. जेएमएम के इस धरने में बड़ी संख्या में आदिवासी और मूलवासी भी शरीक हुए. इस दौरान वे परंपरागत लिवास और तीर- धनुष में नजर आए.
जेएमएम ने इस धरने से संकेत दे दिया है कि आने वाला विधानसभा चुनाव वह जल, जंगल और जमीन के मुद्दे पर लड़ेगा.

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