ब्लॉक कमेटी भंग करने पर प्रदेश कांग्रेस में भारी गुटबाजी

प्रदेश कांग्रेस में ब्लाक कमेटी को भंग करने से गुटबाजी चरम पर है। शीला दीक्षित गुट अब अलग-थलग दिखाई पड़ने लगा है। एक तरफ जहां शीला गुट नए ब्लॉक अध्यक्ष चुनने की कवायद में जुटा है वहीं, अन्य सभी गुट खिलाफत में लगे हैं। भंग किए गए 280 ब्लॉक कमेटी के नेताओं में भी भारी नाराजगी है। 

आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी कांग्रेस का संगठन कमजोर होता नजर आ रहा है। लोकसभा चुनाव में जिस तरह पार्टी का पुराना वोट बैंक वापस आया था, अब आपसी लड़ाई में खिसकने के ज्यादा आसार रणनीतिकारों को लग रहे हैं। 

शीला कैंप से पूर्व संसद ही नहीं, पूर्व विधायकों का भी एक बड़ा वर्ग नाराज है। कार्यकारी अध्यक्ष भी खफा हैं। ऐसे में पार्टी में बिखराव दिख रहा है। दरअसल, शीला कैंप में ज्यादातर उनके पूर्व कैबिनेट के मंत्री हैं, जिससे पार्टी के अन्य दिग्गज नेताओ में नाराजगी है। आलाकमान भी फिलहाल प्रदेश की राजनीति से दूरी बनाए हुए हैं।

उल्लेखनीय है की शनिवार को प्रदेश प्रभारी पीसी चाको ने शीला दीक्षित को पत्र लिखकर ब्लॉक कमेटी के नये सिरे से गठन करने पर नाराजगी जाहिर की थी। कार्यकारी अध्यक्षों ने भी राहुल गांधी को पत्र लिखकर नाराजगी जताई। 

दिल्ली में जिला और ब्लॉक पर्यवेक्षकों की लिस्ट आने के बाद दिल्ली कांग्रेस में गुटबाजी तेज हुई है। कार्यकारी अध्यक्षों से इस बारे में राय नहीं ली गई। आरोप लगाया कि मनमाने तरीके से पर्यवेक्षकों की सूची जारी कर दी गई। 

कांग्रेस सूत्रों ने बताया कि चुनाव को देखते हुए संगठन में फेरबदल नुकसानदायक होगा। सभी कार्यकर्ताओं को संतुष्ट करने की आवश्यकता है। उधर, प्रदेश कांग्रेस नेताओं का कहना है कि चुनाव नजदीक हैं, इसलिए पर्यवेक्षक बनाना जरूरी था, ताकि ये पर्यवेक्षक जिला और ब्लॉक स्तर के नेताओं से विचार-विमर्श करके जिला व ब्लॉक अध्यक्ष बना सकें।

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