अनुभव जब शब्द पा जाते हैं, तो लेखनी चल पड़ती है : केशरीनाथ त्रिपाठी

साहित्य समाज का दर्पण है, जो समाज को मार्गदर्शन देने में सहायक है. अनुभव जब शब्द पा जाते हैं, तो लेखनी चल पड़ती है. कविता अनुभवों का भंडार है. किसी घटना को देखने, सुनने और महसूस करने के बाद जो तड़पन होती है, उसे एक कवि अपने शब्द देकर कविता का रूप दे देता है. मन के द्वारा काव्य संकलन का मुख्य आधार हृदय की अनुभूति है. 
किसी भी व्यक्ति के भावों के साथ जब संवेदना जुड़ जाती है, तो वह रचना विभिन्न अलंकारों से सुशोभित हो जाती है. ये बातें राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी ने रविवार को आईसीसीआर में शिव कुमार लोहिया की पहली काव्य संकलन ‘मन के द्वार’ के विमोचन कार्यक्रम में कही. उन्होंने कहा कि श्री लोहिया ने अपने काव्य संकलन में नकारात्मकता को सकारात्मक सोच से बदलने की पहल की है.

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