आंदोलनकारियों की रिहाई की मांग को लेकर धरने पर बैठे पूर्व सीएम हरीश रावत

स्थायी राजधानी गैरसैंण के नाम पर एक बार फिर सियासत तेज हो गई है. कांग्रेस सरकार के समय में जहां भाजपा के लिए ये मुद्दा रहा, वहीं अब भाजपा सरकार में कांग्रेस के लिए यह मुद्दा है. दरअसल मार्च 2018 में स्थायी राजधानी की मांग कर रहे आंदोलनकारियों द्वारा एनएच जाम व गैरसैंण के भराड़ीसैण में चल रहे विधानसभा सत्र के दौरान घेराव की कोशिश के चलते प्रशासन द्वारा 38 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया था. इसी मामले में 35 आंदोलनकारियों को बुधवार को गिरफ्तार किया गया. लेकिन अब इस मामले को हरीश रावत कांग्रेस के लिए संजीवनी बनाने की जुगत में लगे हैं.
हरीश रावत आज भारी संख्या में समर्थकों व पार्टी विधायकों व पूर्व मंत्रियों के साथ गैरसैंण पहुंचे. उन्होंने प्रदेश सरकार के खिलाफ रामलीला मैदान में जनसभा की. इसके बाद वह सैकड़ों की संख्या में समर्थकों के साथ तहसील परिसर में गिरफ्तारी देने पहुंचे. हरीश रावत यहां अपने समर्थकों के साथ तहसील परिसर में ही धरने पर बैठ गए हैं.
अब हरीश रावत को प्रशासन द्वारा मनाने की कोशिश की जा रही है. लेकिन पूर्व सीएम हरीश रावत का कहना है कि जब तक जेल में बंद आंदोलनकारियों को रिहा नहीं किया जाता है तब तक वे वहीं धरने पर बैठे रहेंगे.
 

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