फारुक अब्दुल्ला बोले, अफगानिस्तान में गोलाबारी के बीच बातचीत हो सकती है तो कश्मीर में क्यों नहीं

भारत-पाकिस्तान के बीच कश्मीर समस्या का हल बातचीत के जरिए होना चाहिए। दोनों देशों को इस मामले में अफगानिस्तान जैसी नीति अपनाने की जरूरत है। यह बात नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष डॉ. फारुक अब्दुल्ला ने गुरुवार को बेगम अकबर जहां की 19वीं बरसी पर हजरत बल में आयोजित कार्यक्रम के दौरान कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कही। 
डॉ. अब्दुल्ला ने कश्मीर एक मसला है जिससे कोई इंकार नहीं कर सकता। दोनों मुल्कों के दरम्यिान यूनाइटेड नेशन में लगातार बातचीत हुई है। यह बातचीत 1947 से हो रही है। जवाहर लाल नेहरू के वक्त में बातें हुईं उसके बाद भी जितने प्रधानमंत्री आए उन सबके दौर में बातें हुईं। अभी नरेंद्र मोदी हैं इन्होंने भी वहां जाकर बातचीत की। अंतत: जो फैसला होगा व इन दोनों मुल्कों को ही करना होगा। 

 उन्होंने अफगानिस्तान का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां आतंकवाद के साथ-साथ बातचीत भी जारी है। यहां भी ऐसी शुरुआत होनी चाहिए। कहा कि अब यह कहते हैं कि पहले आतंकवाद को खत्म किया जाए। आज जब अफगानिस्तान का मसला हल हो रहा है। मुझे लगता है यहां भी इस पॉलिसी को अपनाया जाए तो बेहतर परिणाम सामने आएंगे। 

डॉ. अब्दुल्ला ने कहा कि पाकिस्तान से बातचीत करनी पड़ेगी। स्थानीय लोगों के साथ प्रधानमंत्री को बातचीत करनी होगी जबकि पाकिस्तानी प्रधानमंत्री को पीओके के लीडरों से बात करनी पड़ेगी। और फिर जो दो हिस्से हैं उन्हें आपस में बात करनी पड़ेगी कि कोई ऐसा हल निकले जिसमें न हिंदुस्तान समझे कि हम हार गए न पाकिस्तान समझे कि वो हार गए और न जम्मू, कश्मीर और लद्दाख की आवाम समझे कि हम हार गए। यह एक राजनीतिक मुद्दा है जिसके लिए राजनीतिक समाधान की जरूरत है। 

श्रीनगर के नसीम बाग इलाके में पार्टी के संस्थापक शेख मुहम्मद अब्दुल्ली की पत्नी और फारुक अब्दुल्ला की मां बेगम अकबर जहां के मकबरे पर अब्दुल्ला और अन्य नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता गुरुवार को एकत्र हुए थे। इस दौरान एनसी के नेताओं ने उन्हें पुष्पांजलि अर्पित की और फातिहा पढ़ा। 

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