लोकायुक्त का कार्यकाल 8 वर्ष से घटाकर 5 वर्ष किया, संशोधन विधेयक पारित

राज्य विधानसभा ने सोमवार को राजस्थान लोकायुक्त तथा उप-लोकायुक्त (संशोधन) विधेयक, 2019 को ध्वनिमत से पारित कर दिया। 

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से ऊर्जा मंत्री बुलाकी दास कल्ला ने विधेयक को सदन में प्रस्तुत किया। विधेयक पर हुई बहस का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि राजस्थान लोकायुक्त तथा उप-लोकायुक्त अधिनियम, 1973 की धारा 5 में संशोधन द्वारा लोकायुक्त की पदावधि पांच वर्ष से बढ़ाकर आठ वर्ष की गई थी। लेकिन देश के अधिकांश राज्यों में लोकायुक्त पांच वर्ष की अवधि के लिए पद धारण करता है। इसके अतिरिक्त लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, 2013 (2014 का केंद्रीय अधिनियम सं. 1) के अधीन अध्यक्ष की पदावधि भी पांच वर्ष है। देश के अन्य राज्यों में लोकायुक्त और केंद्र में लोकपाल के अध्यक्ष की पदावधि में समानता बनाए रखने के लिए राज्य सरकार द्वारा यह विनिश्चय किया गया कि लोकायुक्त के पद के लिए पांच वर्ष की अवधि पर्याप्त है। 

उन्होंने कहा कि लोकायुक्त को और अधिक सशक्त बनाने के लिए सरकार इसके कार्यकाल को 8 वर्ष से घटाकर 5 वर्ष करने के लिए यह विधेयक लाई है। यह सरकार का अधिकार है कि वह लोकायुक्त का कार्यकाल घटा या बढ़ा सकती है। अधिकांश राज्यों में लोकायुक्त का कार्यकाल 5 वर्ष का ही है। लोकायुक्त को शक्तिशाली बनाने के लिए ही राज्य सरकार यह विधेयक लेकर आई है। उन्होंने देश के लोकपाल का जिक्र करते हुए कहा कि जब देश के लोकपाल के कार्यकाल की अवधि 5 वर्ष है तो फिर राजस्थान के लोकायुक्त के कार्यकाल की अवधि 5 वर्ष क्यों नहीं की जा सकती।

इससे पहले सदन ने विधेयक को जनमत जानने के लिए परिचालित करने के संशोधन प्रस्ताव को ध्वनिमत से अस्वीकार कर दिया गया।

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