सदन के पास इतना समय नहीं इसलिए समितियों की भूमिका अहम : महंत

छत्तीसगढ़ विधानसभा के स्पीकर डॉ. चरणदास महंत शनिवार को भोपाल में थे। वहां उन्होंने मध्यप्रदेश के नए विधायकों की क्लास ली। उन्होंने उन्हें संसदीय ज्ञान का पाठ पढ़ाया। डॉ. महंत ने कहा कि संसदीय शासन प्रणाली में समिति प्रणाली का विशेष महत्व होता है, क्योंकि सभा के पास इतना समय एवं अवसर नहीं रहता कि वह प्रत्येक बिन्दु पर विस्तार से विचार-विमर्श कर सके।
प्रबोधन कार्यक्रम में “संसदीय प्रणाली में संसदीय समितियों की भूमिका” विषय पर अपने व्याख्यान में महंत ने कहा कि समितियां विधायिका के प्रति कार्यपालिका की जवाबदेही को सुनिश्चित करती है। इसलिए समितियों को सभा का लघु रूप कहा गया है। इसे लघु सदन की संज्ञा दी गयी है। मध्यप्रदेश विधानसभा में विभिन्न पदों पर रहते हुए उन्होंने भी काफी वक्त व्यतीत किया है। ये पल उनके जीवन के अनमोल क्षण हैं। वे इन यादों को सदैव अपने दिल में संजो कर रखेंगे। इस अवसर पर मध्यप्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष नर्मदा प्रसाद प्रजापति, विधान सभा के सचिव चन्द्रशेखर गंगराड़े एवं मध्यप्रदेश विधानसभा के विधायक उपस्थित थे। 
महंत ने कहा कि-संसदीय समितियां दो प्रकार की होती है। प्रथम स्थायी एवं दूसरी तदर्थ समिति। तदर्थ समितियां किसी प्रकरण विशेष की जांच करने गठित की जाती हैं। इन समितियों का कार्यकाल जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत करने तक सीमित रहता है। स्थायी समितियों का गठन प्रति वर्ष निर्वाचन अथवा मनोनयन के माध्यम से होता है। इन समितियों को 6 भागों में विभक्त किया गया है -

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