योगी सरकार की सख्ती के चलते जल्द बंद हो जाएंगे 158 मदरसे

यूपी में भाजपा की सरकार सत्ता मे आने के बाद से ही कागजों पर चलने वाले शिक्षण संस्थानों को लेकर सख्ती बरत रही है. इसी के तहत मिर्जापुर जिले में भी जिला अल्पसंख्यक विभाग ने 158 मदरसों को चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर इन मदरसों की व्यवस्था में सुधार नहीं किया गया तो पांच जुलाई तक इन्हे बंद कर दिया जाएगा.

बता दें कि उर्दू की तालीम देने के लिए मिर्जापुर जिले में कुल 374 मदरसों का संचालन हो रहा है. जिनमें प्राइमरी से लेकर हाईस्कूल तक के मदरसे है. इनमें से 158 मदरसों का संचालन प्रबंध समिति द्वारा किया जा रहा है. लेकिन प्रबंध समिति के पास पैसों की कमी के कारण 2018-19 के सत्र में इन्हें नहीं चलाया गया न ही इनमें पठन-पाठन का काम किया गया. जिसके बाद अब शिक्षा विभाग ने साफ कर दिया है कि अगर इनकी व्यवस्था में सुधार न किया गया तो इन्हे पांच जुलाई तक बंद कर दिया जाएगा.

न छात्र, न शिक्षक कागजों पर सब अव्वल
दरअसल इन मदरसों में सरकार की तरफ से कोई अनुदान नहीं मिलने के कारण यहां पर पढ़ा रहे शिक्षकों को भी वेतन नहीं मिल पा रहा है. जिसके कारण तालीम लगातार बाधित होती गई. पढ़ाई न होने के कारण बच्चों का नामांकन भी न के बराबर हुआ. विभागीय जांच के बाद यह फैसला लिया गया कि जब यहां के हालात इतने बेकार हैं तो क्यूं न इन केन्द्रों का पंजीकरण ही रद्द कर दिया जाए.

अनुदान ना मिलने से खस्ताहाल हैं मदरसे
जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी विकास जायसवाल का कहना है कि यह मदरसे सरकारी अनुदान से बाहर है यहां सिर्फ पढ़ने वाले छात्रों को सरकार की तरफ से एक हजार रुपया स्कॉलरशिप मिलती है. वह भी सीधे छात्रों के बैंक खाते में जाता है. कोई अनुदान न मिलने के कारण इन मदरसों की आर्थिक हालात खस्ता है. इसलिए इन्हें पांच जुलाई तक बेहतर तरीके से संचालित करने या बंद करने का आदेश दिया गया है.

158 मदरसों पर हो सकती है तालाबंदी
फिलहाल मदरसों को मिले इस सरकारी अल्टीमेटम के कारण 158 मदरसों पर तालाबंदी के आसार बढ़ गए हैं. बता दें कि मदरसों को लेकर लगातार चल रही कागजी नूराकुश्ती को देखते हुए राज्य सरकार ने पिछले ही साल मदरसा बोर्ड के वेब पोर्टल पर पंजीयन अनिवार्य करने का निर्देश दिया था. साथ ही अपने बारे में पूरी जानकारी देने का कहा था. जिसके बाद पाया गया कि प्रदेश भर में तकरीबन दो हजार से अधिक मदरसे ऐसे संचालित किए जा रहे हैं जो अपना मानक पूरा नहीं करते.
 

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