मोतीलाल वोरा की मजबूती मतलब 'हुड्डा का हरियाणा' !

यदि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मोती लाल वोरा कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष बनते हैं तो हरियाणा के कांग्रेस दिग्गजों का विवाद सुलटने के आसार हैं। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और वोरा के बीच अच्छे संबंध हैं। राज्य में अक्टूबर में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर वोरा हरियाणा कांग्रेस के दिग्गजों का विवाद प्राथमिकता के आधार पर खत्म कर सकते हैं।
कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर रहते हुए राहुल गांधी भी हरियाणा के कांग्रेस दिग्गजों का विवाद नहीं सुलझा सके। इसका नतीजा यह हुआ कि कांग्रेसियों ने राज्य में पार्टी को उसके हाल पर छोड़ दिया। राज्य में कांग्रेस छह गुटों में बंटी हुई है। फिलहाल डॉ. अशोक तंवर हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष हैं। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के समर्थक विधायक चाहते हैं कि हरियाणा कांग्रेस की बागडोर उनके नेता को सौंपी जाए, लेकिन तंवर समर्थक अपने नेता को ही जिम्मेदारी बरकरार रखने पर अड़े हुए हैं।
हरियाणा में कांग्रेस की पहचान कुलदीप बिश्नोई, कुमारी सैलजा, रणदीप सिंह सुरजेवाला, नवीन जिंदल, कैप्टन अजय सिंह यादव और किरण चौधरी के खेमों से भी है। सभी कांग्रेसियों में इस बात को लेकर मारामारी है कि वे अक्टूबर में होने वाले विधानसभा में टिकट बांटने की स्थिति में हो सकें। इसके लिए उनके पास संगठन की बागडोर जरूरी है। प्रदेश प्रभारी गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेसियों का विवाद सुलझाने की तमाम कोशिश की, लेकिन वे भी इन दिग्गजों की गुटबाजी में हाथ खड़े कर गए। यह स्थिति तब है, जब गुलाम नबी आजाद और भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बीच पुरानी दोस्ती है।
अब जबकि राहुल गांधी ने कांग्रेस अध्यक्ष पद छोड़ दिया और उनके पद पर रहते भी राज्य के कांग्रेसियों का विवाद नहीं सुलझा तो उम्मीद की जा रही है कि यदि वोरा अध्यक्ष बनते हैं तो हरियाणा की तरफ ध्यान देंगे। वोरा एजेएल प्लाट आवंटन मामले में हुड्डा के साथ आरोपित भी हैं। इस पहलू को यदि नजरअंदाज कर दिया जाए तो हुड्डा और वोरा के बीच बढ़िया राजनीतिक संबंध बताए जाते हैं।

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