नेहरू को जितनी गालियां दो, लेकिन अमेरिकी दबाव में भी नहीं किया था सीजफायर- आजाद

राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने कहा कि हमारी कोई व्यक्तिगत लड़ाई नहीं सिर्फ सिद्धातों की लड़ाई है. उन्होंने कहा कि श्यामा प्रसाद मुखर्जी को जेल में नहीं रखा गया बल्कि आज के गवर्नर हाउस में रखा गया था, जहां हार्ट अटैक से उनकी मृत्यु हुई थी. आजाद ने कहा कि गलत इतिहास पढ़े जाने से ही बाहर बहुत तरह की बातें जाती हैं और नेहरू-कांग्रेस के खिलाफ गुस्सा आता है. नेहरू पर हमले आज पहली बार नहीं हो रहे थे, ऐसा होता आया है. कश्मीर को भारत का हिस्सा बनाने में शेख अब्दुल्ला, नेहरू, रंजीत राय, कश्मीर की जनता, मकबूल शेरवानी, ब्रिगेडियर उस्मान का योगदान है.
आजाद ने कहा कि हमारी संधि से पहले कश्मीर का बड़ा भाग पाकिस्तान के लोगों ने कब्जा कर लिया था. वहां के फौजियों ने भी खुद को पाकिस्तान के साथ कर लिया था, वह कोई छोटा सा इलाका नहीं था, तीन जगह लड़ाई लड़नी थी. हमने वापस बारामूला और उरी को भारत में शामिल किया. कश्मीर की जनता और नेशनल कांग्रेस ने देश के लिए लोगों की भीड़ जमा की और कानून व्यवस्था को शांति पूर्ण बनाए रखा. एनसी के कार्यकर्ता मकबूल शेरवानी ने हमलावरों को श्रीनगर का रास्ता बताने में गुमरहा किया क्योंकि तब तक भारतीय फौज को वहां पहुंचना था. इसके बाद उसे हमलावरों ने गोलियों से भून दिया. 
आजाद ने कहा कि बारामूला और उरी को बचाने के बाद लद्दाख को बचाने का काम किया गया. तब हमने कारगिल को वापस भारत में शामिल कराया. नेहरू को बताया गया कि मुजफ्फराबाद ले लो और राजौरी छोड़ दो, लेकिन तब नेहरू ने कहा कि कोशिश करो कि मुजफ्फराबाद भी भारत में आए. यहां से धकेले जाने के बाद पाकिस्तान की पूरी फौज मुजफ्फराबाद में जाकर बैठ गई थी. ब्रिगेडियर उस्मान की अगुवाई में कुछ लोग भेजे भी गए थे और तब भारतीय सेना कोटली पहुंची लेकिन वापस लौटना पड़ा क्योंकि हिन्दू शरणार्थी वहां थे और उन्हें वापस लाया गया. नौशेरा को बचाने के लिए महीने भर तक जंग लड़ी गई और हजार पाकिस्तानी सैनिक मारे गए, लेकिन बाद में उस्मान शहीद हो गए.
गुलाम नबी आजाद ने कहा कि नेहरू की संधि से पहले भी कश्मीर के कई इलाके पाकिस्तान से लिए गए थे जिसकी चर्चा नहीं होती क्योंकि इससे वोट नहीं मिलता. सीजफायर के लिए अमेरिका की ओर से दबाव बनाया गया लेकिन जब तक नेहरू ने कारगिल, पुछं, राजौरी को वापस नहीं लिया तब तक सीजफायर नहीं किया. जितनी गालियां देनी हैं सुबह उठकर दे दो. इतिहास ठीक तरह से पेश नहीं किया जाता अगर अच्छा इतिहास पढ़ा जाता तो बेहतर होता, घर में बनाया इतिहास पढ़ा जाता है.
गुलाम आजाद ने कहा कि बीजेपी कहती है कि आतंकवाद के खिलाफ जीरो टोलरेंस है यह बात गले से नहीं उतरी. हमने आतंकवाद को फ्रीजिंग पॉइंट पर लाया था और आतंकवाद खत्म हो गया था. लेकिन क्या वजह से कि 2014 के बाद सबसे ज्यादा हमारे फौजी मारे गए, आम नागरिक मारे गए, सेना के 16 ठिकानों पर हमले हुए, जीरो टोलरेंस में सेना के ठिकानों पर 16 हमले कैसे हो गए, यह जीरो टोलरेंस की निशानी तो नहीं है. सबसे ज्यादा आतंकियों को भर्ती हुई हैं और यह आपकी नीति से मेल नहीं खाती है. आपने लोगों को भरोसे में नहीं लिया और आप विफल साबित हुए हैं.

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