घटेगी कॉरपोरेट टैक्स दर? निर्मला सीतारमण के सामने बजट में ये हैं 5 बड़ी चुनौतियां

मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला बजट 5 जुलाई को संसद में पेश होने वाला है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के लिए ये बजट किसी परीक्षा से कम नहीं है. सुस्त होती इकोनॉमी और टैक्स कलेक्शन टारगेट की चिंताएं सरकार के सामने खड़ी हैं. केंद्र सरकार चालू वित्त वर्ष 2019-20 के बजट में मिडिल क्लास को राहत देकर कंज्यूमर स्पेंडिंग बढ़ाने और टैक्स रेवेन्यू कलेक्शंस से बिना समझौता किए निजी निवेश को मोबलाइज करने की पहल कर सकती है. चलिए जानते हैं कि इस बार के बजट की चुनौतियां क्या हैं.
स्लैब रेट घटाएगी सरकार?
केंद्र सरकार मिडिल क्लास को टैक्स राहत देने के लिए बजट में स्लैब रेट घटाने की पहल कर सकती है. सरकार आम लोगों की बचत का इस्तेमाल इंस्फ्रास्ट्रक्चर पर खर्च करने पर विचार कर सकती है. इसके लिए इंफ्रास्ट्रक्चर बांड जारी किया जा सकता है जिस पर आम लोगों को टैक्स इंसेटिव्स दिया जा सकता है. हालांकि सरकार बेसिक एग्जेंप्शन लिमिट बढ़ाने का जोखिम उठाने से बचना चाहेगी. इससे टैक्स बेस बढ़ाने के लक्ष्य को हासिल करने में मुश्किल आएगी.
25% की कॉरपोरेट टैक्स दर का दायरा बढ़ेगा?
मोदी सरकार ने पांच साल के अपने पहले कार्यकाल के अंतिम पूर्ण बजट 2018 में कॉरपोरेट टैक्स 30 फीसदी से घटाकर 25 फीसदी कर दिया था. यह टैक्स राहत सिर्फ उन्हीं कारोबारियों को मिली जिनका सालाना टर्नओवर 250 करोड़ रुपये से कम है.
अमेरिका जैसी प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में कॉरपोरेट टैक्स की दरें कम की हैं. भारत सरकार पर भी इसके लिए दबाव बनाया जा रहा है. हालांकि राजकोषीय स्थिति को देखते हुए कॉरपोरेट टैक्स की दर सभी के लिए 25 फीसदी कर पाना संभव नहीं दिख रहा है. इसकी बजाय सरकार 250 करोड़ रुपये सालाना टर्नओवर की सीमा बढ़ा सकती है.
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डिजिटाइजेशन की चुनौती
कालेधन की समस्या से निपटने के लिए केंद्र सरकार बजट में नगदी लेन-देन पर नियंत्रण की पहल कर सकती है. इसके लिए बजट में सालाना 10 लाख रुपये से अधिक के कैश विदड्रॉल करने पर 3.5 फीसदी का टैक्स लगाया जा सकता है. हालांकि सामान्य तौर पर 10 लाख रुपये के लिए 30 हजार से 50 हजार रुपये तक टैक्स देना आम लोगों के लिए मुश्किल साबित होगा.
स्टार्टअप को बढ़ावा कैसे देगी सरकार
केंद्र सरकार के सामने देश के युवाओं को रोजगार देने की बड़ी चुनौती है. सरकार बजट में स्टार्ट-अप इनिशिएटिव और एमएसएमई ग्रोथ को बढ़ावा देने के लिए टैक्स इंसेटिव्स दे सकती है. इसके तहत सरकार इन्वेस्टर कम्युनिटी या एंजेल इन्वेस्टर्स को शुरुआती कुछ वर्षों तक फंडिंग से होने वाली आय पर टैक्स एग्जेंप्शंस दे सकती है. इससे निजी निवेश बढ़ेगा और रोजगार का निर्माण होगा.
लागू होगा MNC मसौदा?
सरकार ने भारत में कारोबार कर रही MNC के प्रॉफिट के एलोकेशन पर टैक्सेशन को लेकर एक मसौदे पर आम लोगों की राय मांगी थी. इस मसौदे को सरकार बजट में ला सकती है. भारत में फिजिकली रूप में या डिजिटिल माध्यम से कारोबार कर रही एमएनसी पर इसका सीधा प्रभाव पड़ेगा.

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