ममता बनर्जी ने क्‍यों वापस लिया अल्पसंख्यकों के लिए डिनर हॉल का फैसला?

लोकसभा चुनावों में खराब प्रदर्शन के बाद पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार हर वो कदम उठा रही हैं, जिससे विधानसभा चुनाव में उन्हें फायदा मिल सके. इसी के चलते ममता सरकार ने एक ऐसा फैसला लिया, जिसका कड़ा विरोध होने के बाद उन्होंने यू-टर्न लेते हुए फैसला वापस ले लिया.
दरअसल पश्चिम बंगाल सरकार ने सरकारी प्राथमिक विद्यालयों के अध्यापकों को पत्र लिख कर ऐसे स्कूलों का ब्यौरा मांगा, जिनमें 70 फीसदी से ज्यादा मुस्लिम विद्यार्थी पढ़ते हैं. ममता सरकार ऐसे स्कूलों में डायनिंग हॉल बनाने का प्रस्ताव ला रही थी. जिसको लेकर उनपर तुष्टिकरण का आरोप लगाते हुए विपक्षी दलों ने विरोध शुरू कर दिया.
बीजेपी इस फैसले को लेकर ममता सरकार पर हमलावर हो गई. बीजेपी ने ममता सरकार पर छात्रों में विभाजन करने का आरोप लगाया. बीजेपी नेता बाबुल सुप्रीयो ने ममता बनर्जी पर देश का सबसे बड़ा सांप्रदायिक नेता होने का आरोप लगा दिया.
ममता सरकार ने किया बचाव, कहा ‘गलत तरीके से पेश किया सर्कुलर’
हालांकि चिट्ठी पर मचे बवाल के बाद ममता सरकार ने सर्कुलर वापस ले लिया. साथ ही सफाई पेश करते हुए कहा कि “सर्कुलर को गलत तरीके से पेश किया गया. जल्द ही सभी बातों को स्पष्ट करते हुए एक नया सर्कुलर जारी किया जाएगा. कुछ शब्दों की वजह से इस चिट्ठी को मुद्दा बनाया गया.”
ममता सरकार की तरफ से सफाई में कहा गया कि ‘अगर पैसा माइनोरिटी एफेयर्स और माइनोरिटी एजुकेशन की तरफ से जारी किया जा रहा है, तो अल्पसंख्यकों की तादाद ज्यादा होनी चाहिए. लेकिन इसका मतलब नहीं कि ये सिर्फ अल्पसंख्यकों के लिए है.’

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