झारखंड
के कोडरमा में लगातार जल संकट गहराता जा रहा है. नदी और तालाबों के सूखने का सिलसिला बदस्तूर जारी है, वहीं, कुएं और चापानल पूरी तरह से बेकार पड़ चुके हैं. ऐसे में लोगों को जल संकट से राहत पहुंचाने और जल संचयन के लिए जिला प्रशासन ने अपनी कमर कस ली है.
जिला समाहरणालय में उपायुक्त की अगुवाई में अधिकारियों की एक बैठक आयोजित की गई जिसमें जल संचयन और जल संरक्षण को लेकर कार्य नीति तय की गई.
गौरतलब है कि जल संचयन के लिए राज्य सरकार की ओर से कोडरमा जिले को साढ़े तीन करोड़ रुपए दिए गए हैं इनमें से जिले के हर पंचायतों को पांच-पांच लाख रुपए आवंटित किए जा चुके हैं. इन पांच लाख रुपए से ग्राम विकास समिति पंचायतों में डोभा निर्माण, तालाब गहरीकरण, वृक्षारोपण और बागवानी जैसे काम करेगी ताकि जल संचयन और जल संरक्षण हो सके.
जल संकट गहराने से लोगों के दैनिक जीवन भी प्रभावित होने लगे हैं. आम लोगों की मानें तो अब उनका ज्यादा समय पानी के लिए जद्दोजहद करते बीत रहा है. जल संकट से निपटने के लिए कार्य योजनाओं की जानकारी देते हुए उपायुक्त भुवनेश प्रताप सिंह ने बताया की लोगों को पानी के लिए जूझना पड़े इसके लिए कार्ययोजना तैयार कर लिया गया है.
उन्होंने बताया कि जल संचयन के लिए सरकारी और गैर सरकारी स्कूलों के एक बच्चे एक पौधे लगाएंगे. फिलहाल जिले में दो लाख बच्चे हैं और एक अभियान के तहत सभी बच्चे एक-एक वृक्ष लगाएंगे, ताकि जल संचयन किया जा सके.