
जानें, मोदी सरकार के लिए क्यों अहम है मॉनसून
भारतीय अर्थव्यवस्था में मॉनसून की बड़ी भूमिका है। शेयर बाजार से लेकर उद्योग जगत पर मॉनसून के पूर्वानुमान का बड़ा असर पड़ता है। अगर मौसम विभाग मॉनसून बढ़िया रहने की पूर्वानुमान जताता है तो शेयर बाजार और उद्योग जगत में उत्साह का माहौल होता है, जबकि अगर मॉनसून की बारिश कम रहने की संभावना है तो फिर अर्थव्यवस्था के सुस्ती की तरफ बढ़ने की संभावना बढ़ जाती है। आखिर अर्थव्यवस्था का मॉनसून से क्या लेना-देना है?
कांग्रेस में दो फाड़, मिलिंद देवड़ा भाजपा के साथ !!
आइए जानते हैं कि अर्थव्यवस्था और मॉनसून के बीच क्या संबंध है।
मॉनसून ने केरल में एक सप्ताह की देरी से दस्तक दिया है और यह सामान्य से धीमी गति से आगे बढ़ रहा है। जून में अब तक मॉनसून की बारिश औसत से 44% कम हुई है, जिसके कारण गरमा फसलों की बुवाई में देरी हो रही है, इससे देश के कई हिस्सों में भीषण सूखे की संभावना बढ़ गई है। बारिश में इस कमी का उपभोक्ता मांग, समस्त अर्थव्यवस्था और वित्तीय बाजारों पर व्यापक असर पड़ सकता है। भारत मौसम विभाग (आईएमडी) ने 2019 में औसत बारिश की संभावना जताई है, जबकि मौसम का पूर्वानुमान जताने वाली देश की एकमात्र निजी संस्था स्काईमेट ने सामान्य से कम बारिश की संभावना जताई है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए महत्वपूर्ण क्यों है मॉनसून?
पीएम मोदी ने अगले पांच वर्षों में किसानों की आय को दोगुनी करने और अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने का वादा किया है। उपभोक्ता वस्तुओं का उत्पादन करने वाली कंपनियों ने ग्रामीण मांग में सुस्ती का संकेत दिया है। जलाशयों के घटते जलस्तर के कारण चेन्नै, मुंबई और हैदाराबाद को जलापूर्ति में कटौती को मजबूर होना पड़ा है।
कीमतों और आरबीआई पॉलिसी को कैसे प्रभावित करता है मॉनसून?
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) नीतिगत ब्याज दर सहित मौद्रिक नीति पर फैसला लेते वक्त देश के उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर गौर करता है। फसलों का बंपर उत्पादन खाद्य वस्तुओं की कीमतों पर नियंत्रण रखता है।
सरकार ने अतीत में सूखे के कारण किसानों को नकदी का भुगतान किया है, जिससे राजकोषीय घाटा बढ़ा है। अगर मॉनसून बढ़िया रहता है तो सरकार को इस तरह के खर्च से निजात मिलती है। सूखे की स्थिति में सब्जियों और दालों की कीमतों में इजाफा होगा, जिसके कारण कल्याणकारी योजनाओं पर अधिक खर्च करने की जरूरत होगी।
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आइए जानते हैं कि अर्थव्यवस्था और मॉनसून के बीच क्या संबंध है।
मॉनसून ने केरल में एक सप्ताह की देरी से दस्तक दिया है और यह सामान्य से धीमी गति से आगे बढ़ रहा है। जून में अब तक मॉनसून की बारिश औसत से 44% कम हुई है, जिसके कारण गरमा फसलों की बुवाई में देरी हो रही है, इससे देश के कई हिस्सों में भीषण सूखे की संभावना बढ़ गई है। बारिश में इस कमी का उपभोक्ता मांग, समस्त अर्थव्यवस्था और वित्तीय बाजारों पर व्यापक असर पड़ सकता है। भारत मौसम विभाग (आईएमडी) ने 2019 में औसत बारिश की संभावना जताई है, जबकि मौसम का पूर्वानुमान जताने वाली देश की एकमात्र निजी संस्था स्काईमेट ने सामान्य से कम बारिश की संभावना जताई है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए महत्वपूर्ण क्यों है मॉनसून?
पीएम मोदी ने अगले पांच वर्षों में किसानों की आय को दोगुनी करने और अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने का वादा किया है। उपभोक्ता वस्तुओं का उत्पादन करने वाली कंपनियों ने ग्रामीण मांग में सुस्ती का संकेत दिया है। जलाशयों के घटते जलस्तर के कारण चेन्नै, मुंबई और हैदाराबाद को जलापूर्ति में कटौती को मजबूर होना पड़ा है।
कीमतों और आरबीआई पॉलिसी को कैसे प्रभावित करता है मॉनसून?
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) नीतिगत ब्याज दर सहित मौद्रिक नीति पर फैसला लेते वक्त देश के उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर गौर करता है। फसलों का बंपर उत्पादन खाद्य वस्तुओं की कीमतों पर नियंत्रण रखता है।
सरकार ने अतीत में सूखे के कारण किसानों को नकदी का भुगतान किया है, जिससे राजकोषीय घाटा बढ़ा है। अगर मॉनसून बढ़िया रहता है तो सरकार को इस तरह के खर्च से निजात मिलती है। सूखे की स्थिति में सब्जियों और दालों की कीमतों में इजाफा होगा, जिसके कारण कल्याणकारी योजनाओं पर अधिक खर्च करने की जरूरत होगी।





























































