गांवों में बढ़ा कूड़ा, केंद्र सरकार की मदद से यहीं बनेंगे निपटान केंद्र

हिमाचल प्रदेश की खूबसूरती पर कूड़ा-कचरा दाग लगा रहा है. ग्रामीण क्षेत्र सेमी अर्बन में कन्वर्ट होते जा रहे हैं, जो कूड़ा-कचरा का प्रमुख कारण बनता जा रहा है. हालांकि, शहरों में डोर टू डोर कूड़ा कचरा उठाने की व्यवस्था है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्र इससे अछूते हैं. इसका सीधा असर पर्यावरण और लोगों के स्वास्थ्य पर भी पड़ रहा है. बहरहाल प्रदेश सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों के कूड़ा-कचरा निष्पादन के लिए केंद्र सरकार की ओर टकटकी लगाई है. ग्रामीण विकास मंत्री वीरेंद्र ने कहा कि केंद्र सरकार से कूड़ा कचरा निष्पादन के लिए कुछ कलस्टर में काम शुरू करने जा रहा है, जिसके लिए 10 स्थान चिन्हित कर लिए गए हैं. ग्रामीण विकास मंत्री इस काम के लिए केंद्र सरकार से मदद मांगने दिल्ली जाएंगे.
इन कलस्टरों में पंचायतों की मदद से कूड़ा और कचरे के निष्पादन का काम होगा ताकि सड़कों के किनारे कूड़ा कचरा न फैले, जो पर्यटकों के लिए परेशानी का सबब बन सकता है. प्रत्येक कलस्टर पर करीब 80 लाख रूपये खर्च होने का अनुमान है. ग्रामीण विकास मंत्री वीरेंद्र कंवर ने दावा किया है कि हिमाचल में कूड़ा कचरा निष्पादन पहले से बेहतर हो रहा है.

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