सचिन पायलट के उपमुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष में से एक पद से इस्तीफे की संभावना

लोकसभा चुनाव में राजस्थान की सभी 25 सीटों पर कांग्रेस की हार के बाद सचिन पायलट राज्य के उपमुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष में से कोई एक पद छोड़ सकते हैं। दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने मंगलवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को लगातार तीसरे दिन मिलने का वक्त नहीं दिया। पायलट से भी पिछले तीन दिनों से मुलाकात नहीं की। हालांकि, सूत्र कहते हैं कि गहलोत अब तक तीन बार राहुल से मिल चुके हैं। लेकिन इसकी कोई पुष्टि नहीं हुई है। दोनों नेता बुधवार को राज्य कार्यसमिति की बैठक में हिस्सा लेने जयपुर लौट आए हैं।
दरअसल, राहुल ने पिछले शनिवार सीडब्ल्यूसी की बैठक में कहा था कि कुछ नेताओं ने सिर्फ बेटों के चुनाव प्रचार पर ध्यान दिया। इशारा गहलोत की तरफ माना गया। गहलोत के बेटे वैभव जोधपुर से चुनाव मैदान में थे। कहा गया कि लोकसभा चुनाव के दौरान गहलोत ने राजस्थान में 130 सभाएं और रोड शो किए। इनमें से 93 सभाएं उन्होंने बेटे के लिए कीं। हालांकि, बुधवार को राजस्थान कांग्रेस की तरफ से स्पष्टीकरण आया कि गहलोत ने 104 सभाएं कीं। हर लोकसभा क्षेत्र में प्रचार किया। वे 23 प्रत्याशियों के नामांकन में भी गए। यह सच है कि जिन तीन नेताओं के बेटों के टिकट पर सवाल उठ रहे हैं, उनमें कमलनाथ और पी. चिदंबरम के बेटे चुनाव जीत गए हैं। अकेले गहलोत के बेटे को ही करारी हार मिली है।
पिछले दिनों राजस्थान के चार मंत्रियों ने चुनावी हार की समीक्षा पर जोर दिया था और गहलोत का नाम लिए बिना कहा था कि हार की जिम्मेदारी तय की जानी चाहिए। इसके बाद मंगलवार को कांग्रेस के प्रदेश सचिव सुशील आसोपा ने फेसबुक पर लिखा कि पायलट को सीएम नहीं बनाना प्रदेश में कांग्रेस की हार की वजह है। अगर पायलट सीएम होते तो लोकसभा के परिणाम कुछ और होते। उधर, हनुमानगढ़ के कांग्रेस जिलाध्यक्ष केसी बिश्नोई ने कहा कि हार की जिम्मेदारी गहलोत को लेनी चाहिए।

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