RSS ने संभाली थी कमान, राजस्थान में BJP का परचम फहराने में बड़ा योगदान

राजस्थान में सत्तारूढ़ कांग्रेस के खिलाफ बाजी को पूरी तरह से पलट कर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने एक बार फिर भाजपा को अपनी कीमत का अहसास कराया है। राजस्थान की पश्चिमी पट्टी में आरएसएस के काम का शानदार रिकार्ड रहा है जिसका हिस्सा जोधपुर और बाड़मेर जैसे महत्वपूर्ण संसदीय क्षेत्र हैं।
आरएसएस के संगठन मजदूर संघ, किसान संघ और सीमावर्ती गांवों में सक्रिय इसकी एक अन्य इकाई बीते कई वर्षो से जाति की सीमा से परे जाकर सामाजिक मुद्दों में अपना योगदान दे रहे हैं जिसका नतीजा इन्हें स्थानीय लोगों के समर्थन के रूप में मिल रहा है। गायों की देखभाल और अंतरजातीय विवाह जैसे कामों से इसके कार्यकर्ताओं ने लोगों का विश्वास जीता है। ऐसे में आरएसएस के लिए यह कोई कड़ा मुकाबला नहीं रहा जब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे को जोधपुर से भाजपा के गजेंद्र सिंह शेखावत से मुकाबले के लिए कांग्रेस से टिकट मिला। शेखावत स्वयंसेवक रह चुके हैं। आरएसएस ने पूरी मजबूती से अपनी ताकत दिखाना तय कर लिया और जोधपुर में तो इसे मुख्यमंत्री बनाम आरएसएस बनाकर रख दिया। 

आश्चर्यजनक रूप से जातिगत समीकरण नहीं चले और राजपूतों के प्रतिद्वंद्वी माने जाने वाले जाटों ने भी शेखावत को वोट दिया और वह करीब पौने तीन लाख मतों से जीत गए। ऐसी ही कहानी बाड़मेर में रही जहां कांग्रेस के मानवेंद्र सिंह का मुकाबला किसान नेता और आरएसएस कार्यकर्ता कैलाश चौधरी से हुआ। यहां भी सभी जातिगत समीकरणों को ध्वस्त करते हुए चौधरी ने 3.23 लाख मतों से जीत हासिल की। यहां चौधरी को राजपूतों के मत भी मिले। आरएसएस कार्यकर्ता खामोशी से बूथों का विश्लेषण करते रहे और प्रत्याशियों का पूरे राज्य में प्रचार करते रहे जबकि मुख्यमंत्री गहलोत ने कई बार सार्वजनिक रूप से आरएसएस के कामकाज की आलोचना की। 
 

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