यूपी की एक-एक सीट बेहद अहम, वोट ट्रांसफर का गणित क्‍यों दे रहा है मायावती को सिरदर्द

उत्‍तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी साथ आए हैं. नरेंद्र मोदी से चुनौती लेने को मायावती और अखिलेश यादव ने हाथ मिला लिया. दोनों ने कांग्रेस से दूरी ही बनाए रखी. गठबंधन के विचार को तब और बल मिला जब अजीत सिंह की पार्टी राष्‍ट्रीय लोक दल भी पाले में आ गई. कभी एक-दूसरे के धुर विरोधी रहे दो दल आज चुनाव में साथ ताल ठोंक रहे हैं तो अंदरखाने चिंता जमीन पर पर्याप्‍त समर्थन न मिलने की भी है.
गठबंधन के सामने जो चुनौती मुंह बाए खड़ी है, वो है सपा-बसपा के कोर वोटर्स का एक-दूसरे को समर्थन सुनिश्चित करना. मायावती शायद इस बात को भांप रही हैं. तभी 1 मई को बाराबंकी की एक रैली में उन्‍होंने दोनों पार्टियों के कैडर को वोट ट्रांसफर का तरीका समझाया. उन्‍होंने साफ कहा कि अगर वोट ट्रांसफर हुए तो यूपी की अधिकांश सीटें हम ही जीतेंगे. मायावती ने जब यह बात कही तो मंच पर अखिलेश मौजूद थे.
मायावती ने सपा-बसपा समर्थकों से कहा कि जहां-जहां बसपा चुनाव लड़ रही है, वहां हाथी के सामने वाला बटन दबाकर उनको जिताएंगे. जहां-जहां सपा लड़ रही है, वहां साइकिल का बटन दबा कर गठबंधन को जिताइए. उन्‍होंने कहा, “एक-एक सीट को जीतना बहुत जरूरी है. यह तभी संभव हो सकता है जब सपा-बसपा के लोग दोनों पार्टियों के उम्‍मीदवारों को ट्रांसफर करवा दें. ऐसा होता है तो हमारा गठबंधन अधिकांश सीटें जीत जाएगा.”

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