केरल में भाजपा का खाता भी नहीं खुलने वाला
हमने अतीत में भी ऐसे सर्वेक्षणों को मुंह के बल गिरते देखा है. इनके माध्यम से कुछ और नहीं बल्कि यह जानने की कोशिश की जाती है कि सर्वे करवाने वाला संगठन जिन समूहों को समर्थन दे रहा है, क्या जनता की राय उनके पक्ष में मोड़ी जा सकती है. आज वैसी ही स्थितियां हैं जैसी 2004 में थीं. ऐसे में वाम मोर्च को भारी बहुमत मिलने की संभावना है. 2016 में चुनावी सर्वेक्षण वामदलों के खत्म होने की बात कह रहे थे. परिणाम क्या रहा? हम जीते और हमने सरकार बनाई. वाम लोकतांत्रिक मोर्चा अपनी जीत के प्रति आश्वस्त है क्योंकि हमने जो वादे किए थे, वे पूरे किए हैं.